दीवाली के बाद अब लोग छठ पूजा की तैयारी में लग चुके हैं । महिलाओं के लिए खास महत्व वाले इस त्योहार की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं । नहाय खाय के दिन गंगा स्नासन करने का चलन है । इस दिन घर की पूरी सफाई की जाती है और छठी मइया के स्वानगत के लिए घर आंगन, घर के आगे और पीछे हर स्थादन की सफाई होती है ।
बता दें कि छठ का पर्व चार दिनों का होता है और इसका व्रत सभी व्रतों में सबसे कठिन होता है । इसलिए इसे महापर्व के नाम से जाना जाता है। हिन्दी पंचाग के अनुसार, छठ पूजा का खरना कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को होता है। खरना को लोहंडा भी कहा जाता है। इसका छठ पूजा में विशेष महत्व होता है। खरना के दिन छठ पूजा के लिए विशेष प्रसाद बनाया जाता है। खरना के दिन भर व्रत रखा जाता है और रात प्रसाद स्वरुप खीर ग्रहण किया जाता है। इस बार छठ पूजा 18 नवंबर से 21 नवंबर पर चलेगी ।
वही आज नहाय खाय का दिन है। इस दिन व्रती महिलाएं नहाने के बाद नए कपड़े पहन कर सूर्य भगवान की पूजा करने के बाद शाकाहारी खाना खाती है। कुछ जगहों पर इस दिन कद्दू की सब्जीर बनाई जाती है।
क्या है नहाय-खाय
छठ पूजा का महापर्व 4 दिनों का होता है। छठ पूजा के पहले दिन नहाय-खाय किया जाता है। इस दिन जो लोग व्रत करते हैं वो स्नानादि के बाद सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं। इसके बाद ही वो छठी मैया का व्रत करते हैं। इस दिन व्रत से पूर्व नहाने के बाद सात्विक भोजन ग्रहण करना ही नहाय-खाय कहलाता है।
बिहार के अलावा इन राज्यों में भी मनाया जाता है छठ
बिहार के अलावा यूपी, छत्तीसगढ़, झारखंड, पश्चिम बंगाल और नेपाल में भी धूमधाम से छठ का त्योहार मनाया जाता है। छठ पूजा की शुरुआत नहाय खाय से होती है, जो कि पारण तक चलता है।
डूबते सूर्य को दिया जाता है अर्घ
हिंदू धर्म में यह पहला ऐसा त्योहार है जिसमें डूबते सूर्य की पूजा की जाती है। छठ के तीसरे दिन शाम यानी सांझ के अर्घ्य वाले दिन शाम के पूजन की तैयारियां की जाती हैं। इस बार शाम का अर्घ्य 20 नवंबर को है। इस दिन नदी, तालाब में खड़े होकर ढलते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। फिर पूजा के बाद अगली सुबह की पूजा की तैयारियां शुरू हो जाती हैं।
छठ पर्व की तारीख
18 नवंबर 2020 दिन बुधवार को नहाय-खाय
19 नवंबर 2020 दिन गुरुवार को खरना
20 नवंबर 2020 दिन शुक्रवार को डूबते सूर्य का अर्घ्य
21 नवंबर 2020 दिन शनिवार को उगते सूर्य का अर्घ्य
छठ व्रत से मिलता है फल
छठी पूजा करने से नि:संतान दंपत्तियों को संतान सुख की प्राप्ति होती है।
छठी मैया संतान की रक्षा करती हैं और उनके जीवन को खुशहाल रखती हैं।
छठ पूजा करने से सैकड़ों यज्ञों के फल की प्राप्ति होती है।
परिवार में सुख समृद्धि की प्राप्ति के लिए भी छठी मैया का व्रत किया जाता है।
छठी मैया की पूजा से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।