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वो पांच क्रांतिकारी महिलाएं, जिन्होंने आजाद भारत को जन्म दिया..

भारत…. अलग राज्यों, अलग भाषाओं, अलग वेषभूषा, अलग धर्मों और अलग विचारों का देश. लेकिन आज भी जब बात देश की आती है तो ये सारी विविधताएं एक रंग में आकर मिल जाती है. वो रंग है देशभक्ति का रंग. भारत की यही विशेषता उसे दुनिया में सबसे खास बनाती है क्योंकि यहां लोग अलग होकर भी एक हैं और एक रंग में रंगे हैं. अब यही देश आने वाले कुछ दिनों में अपनी आजादी के 73 साल पूरे कर रहा है. 15 अगस्त को भारत में 73वां स्वतंत्रता दिवस मनाया जाएगा. आजादी का ये जश्न लोगों के लिए काफी मायने रखता है. स्वतंत्रता दिवस के दिन हम उन शूरवीरों को भी याद करते हैं जिन्होंने इस देश को आजाद कराने में अपना सर्वत्र न्योछावर कर दिया. इन शूरवीरों में सबसे अहम नाम है राष्ट्रपिता महात्मा गांधी. वही गांधी जिन्होंने लोगों को सिखाया कि अपना मकसद पूरा करने के लिए ये जरूरी नहीं कि हम हिंसा के मार्ग पर चलें. महात्मा गांधी ने इसी राह पर चल अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन छेड़ा और देश को आजाद करवाया. हालांकि महात्मा गांधी इस लड़ाई में अकेले नहीं थे. अहिंसा के इस पथ पर चलने के लिए उन्हें कई सहयोगी भी मिले जिनके योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता. लेकिन आज हम बात करेंगे उन महिला सहयोगियों की जिनका योगदानभी स्वतंत्रता संग्राम में काफी अहम रहा.

कस्तूरबा गांधी

इस कड़ी में सबसे पहला नाम है महात्मा गांधी की पत्नी कस्तूरबा गांधी जिन्होने बापू के हर आंदोलन में उनका साथ दिया. वह खुद एक राजनीतिक कार्यकर्ता और नागरिकों के हक के लिए लड़ने वाली स्वतंत्रता सेनानी थी. देश को आजाद कराने में एक अहम योगदान देते हुए 22 फ़रवरी 1944 को उनका निधन हो गया.

मनुबेन

इस कड़ी में अगला नाम है सुशीला नायर का. वह गांधीजी की निजी सहायक थीं और प्यारेलाल जी की पत्नी की बहन थी. वह भी युवा महिलाओं में शामिल थीं जो गांधी जी के बेहद करीबी थीं. सुशीला नायर उनकी निजी डॉक्टर भी बनीं थीं. जब नाथुराम गोडसे ने महात्मा गांधी को गोली मारी तब सुशीला नायर उनके साथ थीं.

आभा

आभाबेन भी महात्मा गांधी की काफी करीबी सहयोगी मानी जाती हैं. वह उनके भतीजे कनु गांधी की पत्नी थीं. कनु महात्मा गांधी के फोटोग्राफर थे औऱ उन्ही के साथ रहते थे. इसलिए आभाबेन के जीवन पर भी महात्मा गांधी का काफी प्रभाव था. आभाबेन भी महात्मा गांधी की हत्या के समय, उनके साथ मौजूद थीं.

मीराबेन

मीराबेन के नाम से जानी जाने वाली ब्रिटिश सैन्‍य अधिकारी की बेटी ‘मैडलिन स्‍लेड’ भी गांधी की करीबी सहयोगी थीं.मीराबेन के जीवन पर महात्मा गांधी का इस कदर प्रभाव पड़ा की उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में खादी का प्रचार किया. गांधी जी ने ही उन्हें मीरा नाम दिया था. गांधीजी को मीरा बेन एक बहन, एक बेटी, एक मित्र से भी बढ़कर मिलीं, जिन्होंने हर कदम पर उनका साथ दिया

सरोजनी नायडु

सरोजनी नाचडु पहली बार सन 1914 में इंग्लैंड में महात्मा गांधी से मिली. इस दौरान वह उनके विचारों से काफी प्रभावित हुईं और देश के लिए समप्रित हो गईं. उन्होंने अपनी प्रतिभार का हर क्षेत्र में परिचय दिया. उन्होंने अनेक राष्ट्रीय आंदोलनों का नेतृत्व किया और जेल भी गयीं