हर साल पितृ विसर्जनी अमावस्या के बाद नवरात्रि की तैयारी शुरू हो जाती थी, लेकिन इस बार नवरात्रि एक महीने बाद शुरू होगी। अधिकमास लगने के कारण नवरात्रि एक महीने आगे खिसक गए हैं। इस बार शारदीय नवरात्र 17 अक्टूबर से शुरू होंगे। इससे पहले 18 सितंबर से 16 अक्टूबर तक अधिकमास रहेगा। इस मास में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता। इस साल 165 साल के बाद ऐसा संयोग बन रहा है। अधिकमास को मलमास और पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है। इसमास में भगवान विष्णु की पूजा की जाती है।
- 17 अक्टूबर 2020: प्रतिपदा घटस्थापना
- 18 अक्टूबर 2020: द्वितीया मां ब्रह्मचारिणी पूजा
- 19 अक्टूबर 2020: तृतीय मां चंद्रघंटा पूजा
- 20 अक्टूबर 2020 : चतुर्थी मां कुष्मांडा पूजा
- 21 अक्टूबर 2020: पंचमी मां स्कंदमाता पूजा
- 22 अक्टूबर 2020: षष्ठी मां कात्यायनी पूजा
- 23 अक्टूबर 2020: सप्तमी मां कालरात्रि पूजा
- 24 अक्टूबर 2020 :अष्टमी मां महागौरी दुर्गा महा नवमी पूजा दुर्गा महा अष्टमी पूजा
- 25 अक्टूबर 2020 : नवमी मां सिद्धिदात्री नवरात्रि पारण विजय दशमी
मलमास खत्म होने के बाद नवरात्रि में मुंडन आदि शुभ कार्यों का शुरू हो सकेंगे। वहीं विवाह आदि देवउठनी एकादशी के बाद से ही शुरू होंगे। मलमाल के कारण आगे आने वाले सभी त्योहार विधि के अनुसार अपने नियत समय पर किए जाएंगे। नवरात्र में देरी के कारण इस बार दीपावली 14 नवंबर को होगी, जबकि यह पिछले साल 27 अक्टूबर में थी। ज्योतिषियों के अनुसार तीज-त्योहारों की गणना हिन्दी पंचांगों के हिसाब से की जाती है। इसके लिए हिन्दी का माह और तिथि निर्धारित है।
क्या होता है मलमास
अधिकमास या मलमास हर दो से तीन साल के बीच में आता है। मलमास को आप इस तरह समझ सकते हैं। अंग्रेजी के कैलेंडर के अनुसार जिस तरह लीप इयर होता है उसी तरह हिन्दू पंचांग में अधिकमास, मलमास होते हैं। चंद्र वर्ष, सौर वर्ष से 11 दिन 3 घटी और 48 पल छोटा होता है।