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मुस्लिम वोटों के बंटवारे से बीजेपी को हुआ फायदा..

2017 के आम विधान सभा चुनाव की कहानी फिर दोहरायी गयी। सपा और बसपा के बीच मुस्लिम वोटों के बंटवारे से भाजपा को फिर फायदा हुआ। जबकि उस चुनाव में सपा-बसपा गठबंधन भाजपा के खिलाफ मैदान में उतरा था। इस बार अलग-अलग चुनाव लड़कर दोनों दलों ने भाजपा के खिलाफ मुस्लिम वोटों को रिझाने की पूरी कोशिश की। दोनों के हिस्से में मुस्लिमों के वोट आए भी मगर बंटवारे की वजह से भाजपा फायदा उठा ले गयी।

अमरोहा की नौगंवा सादात विस सीट पर सपा के जावेद अब्बास ने हालांकि भाजपा की संगीता चौहान को कड़ी टक्कर दी। मगर बसपा के फुरकान के खड़े हो जाने से उन्हें मुस्लिम वोटों के बंट जाने का नुकसान उठाना पड़ा। सपा के जावेद अब्बास को कुल 34.46 प्रतिशत और बसपा के फुरकान को 18.48 प्रतिशत मत मिले। बुलंदशहर सीट पर भी बसपा के मो.यूनुस भाजपा की उषा सिरोही के खिलाफ खूब लड़े, उन्हें 33.08 प्रतिशत मत मिले मगर आजाद समाज पार्टी कांशीराम के मो.यामीन ने भी 6.69 प्रतिशत अंक हासिल कर उन्हें नुकसान पहुंचाया। रही सही कसर सपा के उम्मीदवार ने पूरी कर दी। इस सीट पर चर्चित सांसद असदउद्दीन ओवैसी की पार्टी आल इण्डिया मजिलस-ए-इत्तेहादुल मुस्लमीन के उम्मीदवार दिलशाद अहमद, कांग्रेस के सुशील चौधरी व रालोद के प्रवीन कुमार सिंह के बीच भी मुस्लिम वोटों की हिस्सेदारी हुई।

टूण्डला विस सीट पर सपा के महाराज सिंह धनगर को 30.49 प्रतिशत और बसपा के संजीव कुमार को 22.62 मत मिले। इन दोनों उम्मीदवारों के बीच मुस्लिम वोटों का खासा बंटवारा हुआ।
बांगरमऊ सीट पर बसपा के सुरेश कुमार पाल को 20.28 प्रतिशत और कांग्रेस की आरती वाजपेयी को 22.96 प्रतिशत वोट मिले। सपा के उम्मीदवार ने भी यहां मुस्लिम वोटों में सेंध लगाई, जिससे भाजपा के श्रीकांत कटियार की राह आसान हो गयी। कानपुर की घाटमपुर सीट पर कांग्रेस के डा.कपा शंकर को 23.23 प्रतिशत और बसपा के कुलदीप शंखवार को 21.56 प्रतिशत मत मिले। यहां सपा के उम्मीदवार इंद्रजीत कोरी को 14.44 प्रतिशत वोट मिले। इन तीनों के बीच भाजपा के खिलाफ मुस्लिम वोटों की लामबंदी कामयाब नहीं हो सकी। देवरिया सीट पर सपा के ब्रम्हशंकर त्रिपाठी व बसपा के अभयनाथ त्रिपाठी के बीच मुस्लिम वोट बंट गया।

शौकत अली, प्रदेश अध्यक्ष-एआईएमआईएम ने कहा कि यूपी में दरअसल खुद को धर्मनिरपेक्ष कहने वाले दल ही भाजपा को फायदा पहुंचाते हैं। मुस्लिम वोट बंट जाता है जिसकी वजह से भाजपा फायदे में रहती है। आने वाले वर्ष 2022 के आम विस चुनाव में हमारी पार्टी पूरी मजबूती से लड़ेगी। मौलाना आमिर रशादी–अध्यक्ष राष्ट्रीय ओलमा काउंसिल का कहना है कि खुद को सेक्यूलर कहलाने वाले दल चाहे वह सपा, बसपा हो या कांग्रेस हो मुस्लिम वोट को अपना गुलाम बनाकर रखने की जुगत में हमेशा रहे हैं। मुस्लिम लीडरशिप की बात करने वाली ओवैसी की पार्टी ने भी बिहार में कथनी-करनी में फर्क करते हुए बिहार में देवेन्द्र यादव को अपने गठबंधन की कमान सौंप दी। इस तरह से तो मुस्लिम वोट तो बंटता ही रहेगा।

इन 7 सीटों पर किस दल को कितने प्रतिशत वोट मिले
भाजपा-36.53
सपा-23.61
बसपा-18.97
कांग्रेस-7.53
अन्य-11.36
एआईएमआईएम-0.37
एनसीपी-0.20
नोटा-0.67
रालोद-0.56

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