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दिल्ली: खतरे ने तोड़ दिए सारे रिकॉर्ड, AQI पंहुचा 400 पार..

दिल्ली में प्रदूषण की समस्या दिन पर दिन बढ़ती जा रही है यहाँ पर प्रदूषण की समस्या इतनी ज्यादा हो गई है कि लोग कोरोना काल के आने से पहले से मुँह पर मास्क लगा कर ही कहीं बाहर निकलते है। आपको बता दें कि, दिल्ली की हवा पिछले एक साल में सबसे खराब स्तर पर दर्ज की गई है. इस प्रदुषण से बच्चे, बुजुर्ग और कोविड व सांस से जुड़ी बीमारियों के मरीजों पर संकट कई गुना बढ़ गया है. शुक्रवार (आज) दिल्ली में सुबह की हवा की गुणवत्ता सूचकांक 400 के पार दर्ज किया गया जो कि , एक ‘गंभीर’ श्रेणी माना जाता है. शुक्रवार की सुबह दिल्ली के आनंद विहार में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) का लेवल 442, आरके पुरम में 407, द्वारका में 421 और बवाना में 430 रहा.

वहीं, गुरुवार को दिल्ली के प्रदूषण ने इस साल के सारे रिकॉर्ड को तोड़ दिया. स्रुतों की माने तो इस बार पराली जलाने के मामलों में वृद्धि और हवा की गति कम होने के कारण राष्ट्रीय राजधानी में गुरुवार को प्रदूषण पिछले एक साल में सबसे खराब स्तर पर पहुंच गया. पराली जलने की हिस्सेदारी प्रदूषण में 42 फीसदी तक पहुंच गई, जो इस मौसम में अब तक का सबसे ज्यादा है. एक्स्पर्ट की माने तों, पराली जलाए जाने की घटना में तेज वृद्धि के साथ ही हवा की गति और तापमान में गिरावट होने से गुरुवार को दिल्ली-एनसीआर में हवा की गुणवत्ता लगभग एक साल के सबसे खराब स्तर पर पहुंच गई. बुधवार रात भी वायु गुणवत्ता सूचकांक ‘गंभीर’ श्रेणी में रहा और गुरुवार को भी यह सिलसिला जारी रह सकता है. बता दें कि, गुरुवार को औसत वायु गुणवत्ता 450 दर्ज की गई, जो कि पिछले साल 30 दिसंबर के 446 से अब तक का सबसे ज्यादा है. दिल्ली में सभी 36 निगरानी केन्द्रों ने वायु गुणवत्ता को ‘गंभीर’ श्रेणी में ही रखा है. पड़ोसी शहरों जैसेः फरीदाबाद, गाजियाबाद, ग्रेटर नोएडा, गुड़गांव और नोएडा में भी प्रदूषण का स्तर ‘गंभीर’ ही दर्ज किया गया.

बता दें कि 0 और 50 के बीच एक्यूआई को ‘अच्छा’, 51 और 100 के बीच ‘संतोषजनक’, 101 और 200 के बीच ‘मध्यम’, 201 और 300 के बीच ‘खराब’, 301 और 400 के बीच ‘बेहद खराब’ और 401 से 500 के बीच ‘गंभीर’ माना जाता है. केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के अनुसार दिल्ली-एनसीआर में पीएम 10 का स्तर गुरुवार को 563 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर रहा, जो कि पिछले साल 15 नवम्बर के बाद से सर्वाधिक है, जब यह 637 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर दर्ज किया गया था और 60 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर तक पीएम 2.5 को सुरक्षित माना जाता है. पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के हवा गुणवत्ता निगरानी केंद्र सफर ने बताया कि पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पड़ोसी राज्यों में पराली जलाए जाने की घटनाओं में वृद्धि हुई और यह संख्या बुधवार को 4,135 थी, जो कि इस मौसम में सबसे ज्यादा माना जा रहा है.

एक्स्पर्ट ने बताया कि, हवा की गति कम रहने, तापमान में गिरावट जैसी मौसम की प्रतिकूल स्थिति और पड़ोसी राज्यों से पराली जलने का धुआं आने से बुधवार रात वायु गुणवत्ता सूचकांक ‘गंभीर’ श्रेणी में रहा. दिल्ली-एनसीआर में कई लोगों द्वारा करवाचौथ त्यौहार पर पटाखे फोड़े जाने को भी इसके लिए जिम्मेदार माना जा रहा है. न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, सर गंगा राम अस्पताल के एक डॉक्टर ने बताया कि प्रदूषित हवा में सांस के रूप में 22 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर का शरीर में जाना एक सिगरेट पीने के बराबर है.