बच्चों को यौन शिक्षा देने के साथ ही उन्हें गुड टच और बैड टच के बारे में बताना भी एक जरुरी विषय है. माता-पिता अपने बच्चों को के बारे में संकोच करते हैं, जिसके कारण बच्चे यौन शोषण के शिकार होते हैं.
हमारा समाज विकसित हो रहा है इसके साथ ही में मनुष्य की आपराधिक भावना भी बढ़ रही है. मानव को पिछले युग में कई बदलाव देखने को मिले है. कुछ समय पहले आपराधिक दिमाग वाले लोग समाज की वस्तुओं को निशाना बनाते थे, लेकिन हाल के वर्षों में ये छोटे बच्चों और शिशुओं को निशाना बनाने लगे हैं. मानवता पशुता में ढ़लती जा रही है. छोटे बच्चों और शिशुओं को वो लोग निशाना बनाने लगे हैं. जो अपने यौन आकर्षण के लिए इनका गलत इस्तेमाल करते हैं क्योंकि इन्हें मालूम है कि कम उम्र के बच्चे कमजोर व नासमझ होते हैं और दूसरों से जल्दी घुल-मिल जाते हैं व दूसरों पर जल्दी विश्वास भी कर लेते हैं. इस तरह के ज्यादातर अपराधी घर में से ही या आस-पड़ोस या जान पहचान वाले ही होते हैं. कई बार बच्चों को स्कूल कर्मचारी के साथ स्कूल ले जाने वाले ट्रांसपोर्ट के लोग भी ऐसे अपराध करते हैं.
बच्चों के प्रति बढ़ते अपराध का मुख्य कारण बच्चों में जागरूकता की कमी होती हैं. माता–पिता अपना कर्तव्य केवल अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा, खाना-पीना, कपड़े पहनना, बड़ों का सम्मान करना और अच्छे संस्कार देने तक सीमित मानते हैं. लेकिन वर्तमान समय में बच्चों को यौन शिक्षा देने के साथ ही उन्हें Good Touch and Bad Touch के बारे में बताना भी एक जरुरी विषय है. माता-पिता अपने बच्चों को Good Touch and Bad Touch के बारे में बताना कम जरूरी समझते हैं और संकोच भी करते हैं, जिसके कारण बच्चे यौन शोषण के शिकार होते हैं.
अच्छा स्पर्श अगर कोई आपको करे और उससे आपको अच्छा लगे तो ये गुड टच होता है. बुरा स्पर्श जब कोई आपको इस तरह से करे कि आपको उससे बुरा लगे तो ये बैड टच होता है. अगर कोई अनजान व्यक्ति प्राइवेट पार्ट्स गलत तरीके से छूने की कोशिश करे तो यह बैड टच होता है.
बच्चे के बदलते व्यवहार के बारे में आपको जानकारी रखनी चाहिए. ऐसे में छोटी उम्र में ही बच्चों के साथ विश्वास का रिश्ता कायम करना बेहद जरूरी हो जाता है. बच्चों और माता-पिता में प्यार और भरोसेमंद बंधन बनाना आवश्यक है. जहां बच्चे बिना डर के आपको कुछ भी बता सकते हैं. बच्चों के साथ ऐसा व्यवहार रखे कि वह आप से हर बात शेयर करें. अगर उसने कुछ गलत भी हो जाए तो वह भी बता दे.
बच्चों को उनकी शारीरिक संरचना के बारे में बताएं
हम अपने बच्चों को ये समझा सकते हैं कि हमारे शरीर में कुछ अंग ऐसे होते हैं जो सब को दिखते हैं परंतु कुछ अंग ऐसे होते हैं जिन्हें सिर्फ और सिर्फ हम देख या छू सकते हैं. उन्हें हम प्राइवेट पार्ट्स कहते हैं. बच्चों को बताएं कि उनके प्राइवेट पार्ट्स कौन से हैं, और बच्चों को ये बताएं कि शरीर के इन हिस्सों को किसी को न छूने दें.
जब बच्चे 3–4 साल के हो जाए तो उन्हें समझाये कि उनके शरीर पर केवल उनका ही अधिकार है. अगर किसी के द्वारा उनके शरीर को छूना अच्छा न लगे तो उसका कड़ा विरोध करें और ऐसी बाते आपको आकर जरुर बताएं.
बच्चों में आत्मविश्वास बढ़ाना सबसे ज़रूरी है और बच्चों के मन से डर दूर करें और उन्हें ना कहना सिखाएं. अगर उन्हें कोई गलत तरीके से छूने की कोशिश करे तो वे प्रताड़ित करने वाले से डरे नहीं बल्कि उन्हें ऐसा न करने के लिए बोलें. प्रताड़ित करने वाले से बचने के लिए शोर मचाने तरकीब बच्चों को सिखाएं ताकि आसपास के लोग उसकी चीख सुनकर उसके मदद को आ सके.
बच्चों के साथ जब भी कुछ गलत होता है तो उनके व्यहार में परिवर्तन देखने को मिलता है. ऐसे में उसके मन को पढने की कोशिश करें और उनसे खुलकर बात करे. बच्चे को खुलकर इस बारे में बात कर बताएं कि आपको लिए यह अच्छा है और यह आपके लिए बुरा है.