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हिस्ट्रीशीटर दुर्गेश यादव हत्या कांड में आया नया मोड़, सच जान पुलिस ने साधा चुप्पी

लखनऊ के पीजीआई थाना इलाके के वृंदावन कॉलोनी सेक्टर-14 में हिस्ट्रीशीटर प्रॉपर्टी डीलर दुर्गेश यादव की हत्या उसीके अवैध असलहे से की गई थी। यह दावा पुलिस ने किया है। लेकिन खुलासे पर सवाल उठ रहा है कि आखिर इतनी पिटाई के बाद जान बचाकर भाग रहे अर्धनग्न दुर्गेश ने .32 बोर का रिवाल्वर कब और कैसे हासिल कर लिया। इस सवाल पर पुलिस चुप है। कारतूस दुर्गेश के बैग से बरामद हुए हैं।

वहीं, बृहस्पतिवार को हत्याकांड के एक और आरोपी संतोष को पुलिस ने दिल्ली बॉर्डर पर गिरफ्तार कर लिया। आरोपी से पूछताछ की जा रही है। मालूम हो कि मुख्य आरोपी पलक ठाकुर और मनीष यादव को बुधवार को ही पकड़ लिया था। वारदात सचिवालय में समीक्षा अधिकारी अजय यादव के मकान पर हुई थी। जहां दुर्गेश यादव, मानवेंद्र सिंह, अभय कुमार, सोवेंद्र यादव और संजीत कुमार किराए पर रहते थे।

डीसीपी पूर्वी चारू निगम के मुताबिक, दुर्गेश यादव ने पलक व मनीष से एक करोड़ रुपये से अधिक की रकम लेकर लोगों को सरकारी नौकरी दिलाने का झांसा दिया था। दुर्गेश की तलाश में विधानभवन व सचिवालय के चक्कर लगाने के दौरान पलक व मनीष की मुलाकात हुई। दोनों ने फिर मिलकर दुर्गेश की तलाश शुरू की। पलक को जब बुधवार को दुर्गेश के वृंदावन कॉलोनी में होने की सूचना मिली तो वह वहां जा पहुंची।

इसके बाद मनीष को भी बुला लिया। जहां दोनों ने साथियों के साथ मिलकर ने दुर्गेश को जमकर पीटा। वीडियो भी बनाया। दुर्गेश भागने लगा तो खींचतान हुई। आरोपियों ने बताया कि दुर्गेश अवैध असलहे से पलक पर हमला करने की कोशिश कर रहा था। खींचतान में रिवॉल्वर मनीष के हाथ लगी और ट्रिगर दब गया। गोली सीधी दुर्गेश को जा लगी।

दुर्गेश का पोस्टमार्टम बृहस्पतिवार को हुआ। पैनल में शामिल चिकित्सकों ने बताया कि गोली दुर्गेश के दाहिनी तरफ पेट में लगी थी। जो किडनी को भेदती हुई बाएं तरफ कूल्हे में जा फंसी। उसके सिर में पांच से अधिक चोटें थीं। कंधे, हाथ, पैर और जांघों पर 15 से अधिक चोट के निशान मिले। नाक व कान के अंदरूनी हिस्से में भी चोटें आई थीं।