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कांग्रेस के गढ़ में BJP का परचम, अदिति सिंह 7 हजार वोटों से जीतीं, पति अंगद की हुई हार

उत्तर प्रदेश विस चुनाव-2022 का नतीजा गुरुवार को आ गया। देश में अलग सियासी पहचान बनाने वाली अमेठी में जनता ने कांग्रेस के हाथ को नहीं पकड़ा। उसका साथ छोड़ दिया। जिले की चारों विधान सभा में इस पार्टी का सूपड़ा साफ हो गया। यहां के मतदाताओं पर राहुल व प्रियंका का जादू नहीं चला। चंद द‍िनों पहले कांग्रेस से भाजपा में शाम‍िल हुईं अदिति सिंह ने रायबरेली सदर से चुनाव जीत लिया है, लेक‍िन उनके पति अंगद सिंह नवांशहर से चुनाव हार गए हैं।

कांग्रेस से निकलने के बाद अकेले दम पर वो 31 हजार से ज्यादा वोट ले गए हैं। अदिति सिंह के भारतीय जनता पार्टी को ज्वाइन करने से नाराज कांग्रेस महासच‍ि‍व प्रियंका गांधी ने अंगद का नवांशहर से टिकट काट दिया था। इस पर कई दिग्गज नेताओं ने अंगद की पैरवी की थी, पर प्रियंका ने साफ मना कर दिया।

टूटा कांग्रेस का म‍िथक : इसी के साथ अमेठी को कांग्रेस का गढ़ मानने का मिथक भी टूटता दिखाई दे रहा है। चार सीट में से अमेठी व गौरीगंज सपा तो तिलाई और जगदीशपुर को भाजपा ने जीत ली। अभी तीन माह पहले 18 दिसंबर को जब अमेठी के जगदीशपुर में राहुल व प्रियंका की पदयात्रा के दौरान जनसैलाब उमड़ पड़ा था।

2019 के लोकसभा चुनाव में स्मृति ईरानी से हारने के बाद उस वक्त पहली बार राहुल गांधी अमेठी के दौरे पर आए थे। यहां के लोगों से भावनात्मक नाता का हवाला जब उन्होंने दिया तो लोगों ने जमकर उनका अभिवादन किया था। इसी बात का दोनों भाई- बहन को भान भी रहा। जिसके नाते विधान सभा चुनाव के दौरान सबसे अधिक जोर उनका जगदीशपुर विस क्षेत्र पर ही रहा।

पूरे प्रदेश में प्रियंका का नारे की लड़की हूं, लड़ सकती हूं…गूंज रही। सपा से आए विजय कुमार पासी पर दांव लगाया। मतदान के बाद चर्चा भी रही कि वहां कांग्रेस, भाजपा प्रत्याशी व योगी सरकार में मंत्री सुरेश पासी को कड़ी टक्कर दे रही है। कांग्रेस इस सीट को अपने पाले में मानकर चल रही थी। चुनाव का नतीजा इसके उलट आया। सुरेश ने बाजी मार ली। जगदीशपुर को छोड़कर का्ंग्रेस उम्मीदवारों की जमानत तक नहीं बच सकी।

प्रियंका गांधी ने एक शर्त पर अंगद को कांग्रेस की टिकट देने का फैसला लिया था। वो शर्त थी कि अंगद अपनी पत्नी अदिति सिंह के खिलाफ ट‍िप्‍पणी करें। अंगद ने इसके बाद अपने फेस बुक पर इस बात का जिक्र किया था कि उनके फैमिली मैटर को सोशल मीडिया पर लेकर जाने के लिए उन पर दबाब बनाया जा रहा है। दबाब के आगे न झुकते हुए अंगद ने अदिति के खिलाफ कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया। अपने समर्थकों के कहने पर वो आजाद चुनाव लड़े।