देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट ने आज समलैंगिक विवाह पर अपना फैसला सुना दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक शादी को कानूनी मान्यता नहीं दी है। SC ने 3-2 के बहुमत से फैसला देते हुए कहा कि, यह विधायिका का अधिकार क्षेत्र है। सुप्रीम कोर्ट ने बाकी सिविल अधिकार के लिए जिम्मेदारी केंद्र सरकार पर डाली है।
कोर्ट ने स्पेशल मैरिज एक्ट में बदलाव से मना किया। शुरू में जब चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने अपना फैसला पढ़ना शुरू किया था तो समलैंगिक कपल को उम्मीद जगी थी कि उन्हें बच्चे गोद लेने की इजाजत मिल सकती है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने यह परमिशन भी नहीं दी।
इससे पहले राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने समलैंगिकों को बच्चा गोद लेने की इजाजत देने का विरोध किया था। आयोग ने कोर्ट में कहा था कि, इस तरह का प्रयोग नहीं होना चाहिए। शोध के आधार पर तर्क दिया गया था कि समलैंगिक जिस बच्चे का पालन करेंगे उसका मानसिक और भावनात्मक विकास कम हो सकता है।
याचिकाकर्ता अंजली गोपालन ने फैसला आने के बाद कहा कि, उम्मीद पर हम कायम हैं और यह लड़ाई आगे भी जारी रखेंगे। बच्चा गोद लेने पर फैसला हो सकता था लेकिन नहीं हुआ। चीफ जस्टिस ने बहुत अच्छी बात कही। लेकिन निराशाजनक बात यह है कि दूसरे जज उससे सहमत नहीं हुए। आगे चलकर होगा लेकिन कब होगा? पता नहीं।