उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में रोजगार भी एक बड़ा मुद्दा है। रोजगार की समस्या पूरे प्रदेश में है और कई नेताओं की रैलियों में इसका असर भी दिखा। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दावा करते हैं कि 4 लाख नौकरियां उनके शासनकाल में युवाओं को दी गई है। यूपी के जौनपुर में लगभग हर परिवार का कोई न कोई व्यक्ति काम के सिलसिले में किसी दूसरे प्रदेश में है।मछलीशहर के मीरपुर गांव निवासी 39 वर्षीय संतोष विश्वकर्मा इस आस में बैठे हैं कि जल्द ही उन्हें काम के सिलसिले में मुंबई से फोन आयेगा।
संतोष विश्वकर्मा पिछले 10 सालों से महाराष्ट्र में लकड़ी और फर्नीचर से संबंधित काम करते हैं। उनके तीन भाई भी महाराष्ट्र में काम करते हैं।द इंडियन एक्सप्रेस से विश्वकर्मा ने कहा कि उनके पास अपनी पत्नी और दो बच्चों को छोड़ने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। उन्होंने कहा कि, “अगर यहाँ नौकरी होती, तो मैं कभी नहीं जाता, कोई नहीं जाता। लेकिन मैं उन्हें वहां ले जाने का जोखिम नहीं उठा सकता।
घर छोड़ना हमारी नियति है।”एक छोटी सी मेडिकल स्टोर चलाने वाले बसंत लाल यादव ने एक बस की ओर इशारा करते हुए कहा कि बस के अंदर एक ऐसा व्यक्ति जरूर है जो दूसरे राज्य में जाने के लिए ट्रेन पकड़ने के लिए बैठा हुआ है। बसंत लाल यादव के बड़े भाई कुछ साल पहले मुंबई में गए थे जहां ट्रक ड्राइवर की नौकरी करते थे। लेकिन कोरोना लॉकडाउन में उन्हें घर आने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी। बसंत लाल यादव ने कहा कि, “हमने अपनी बचत का उपयोग नासिक के लिए टैक्सी बुक करने के लिए किया। मेरा भाई तीन दिन लगातार मुंबई से नासिक तक चला, जहां से हम उसे घर ले आए।”
सरकार के अनुसार लॉकडाउन के दौरान देश भर के राज्यों से 40 लाख दिहाड़ी मजदूरों को सरकार ने वापस लाया। साथ ही अधिकारियों ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में मजदूरों और स्ट्रीट वेंडर के काम से जुड़े 53 लाख लोगों को 1 हजार रुपए डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के माध्यम से प्रदान किए गए।