इंग्लैंड की एक यूनिवर्सिटी में इतिहास के प्रोफेसर एडवर्ड एंडरसन ने क्या कहा कि उन्हें इडली पसंद नहीं है, जिसको लेकर सोशल मीडिया पर इस दक्षिण भारतीय व्यंजन को लेकर ऐसी जंग छिड़ी गई है। वही अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव तक गूंज पहुंच गई। जी हां, भारत के चर्चित राजनेता शशि थरूर पहले और लगातार इस विवाद में उलझे कि विदेशी तक में इडली पर चर्चा होने लगी। इस विवाद के कारण इडली को लेकर कई तरह की बातें चल रही हैं।
पहले ये बताते हैं कि इडली को लेकर यह पूरा विवाद क्या है और फिर इडली की ऐतिहासिक कहानी के साथ ही आपको इडली का पोषण महत्व भी बताएंगे। जानिए कि थरूर से लेकर कमला हैरिस तक के नाम इडली विवाद में कैसे जुड़ गए।
आपको बता दें कि एक अनौपचारिक परिचर्चा में ट्विटर पर यूज़र इंगेजमेंट के मकसद से सवाल दागा गया था कि ‘कौन सा व्यंजन लोकप्रिय होने के बावजूद आपको नापसंद है?’ इस परिचर्चा में नॉथम्ब्रिया यूनिवर्सिटी में लेक्चरर एंडरसन ने ट्वीट कर दिया कि ‘इडली दुनिया का सबसे बोरिंग भोजन है.’ हालांकि बाद में उन्होंने यह भी कहा कि वो डोसा और दक्षिण भारतीय व्यंजनों के दीवाने हैं और उनका इरादा भारतीय भोजन का अपमान करना नहीं है, लेकिन इडली उन्हें सख्त नापसंद है तो है।

वही विशेषज्ञ के हवाले से एक मीडिया रिपोर्ट कहती है कि चूंकि दक्षिण भारत में चावल उगाने का इतिहास 3000 साल से पुराना नहीं है इसलिए इससे पहले तो इडली की संभावना हो ही नहीं सकती. लेकिन इडली का भारत में चलन कहां से शुरू हुआ? एक थ्योरी यह है कि शैलेंद्र, इस्याना और संजय वंश के समय में यानी 800 से 1200 ईस्वी के बीच इडली का कॉंसेप्ट इंडोनेशिया से भारत पहुंचा।
आखिर में बात यही है कि खाने में खाने वाले की पसंद ही सब कुछ है। और यह पसंद सांस्कृतिक, सामाजिक और भौगोलिक कारणों पर काफी निर्भर करती है। किसी पर भोजन से जुड़ी पसंद थोपी नहीं जा सकती, लेकिन किसी भोजन की पैरवी या मनाही स्वास्थ्य कारणों और पोषण के आधार पर की जा सकती है।