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मायावती का ऐसा जातिवादी दांव, जिसे सियासत में किसी ने सोचा भी नहीं होगा

बसपा सुप्रीमो मायावती ने प्रदेश में जाति की सियासत को और हवा देने की रणनीति पर कदम बढ़ाया है। प्रदेश में किसी घटना के बाद पीड़ित परिवारों के घर बसपा का उसी जाति व समाज का नेता मदद को जाएगा, जिस जाति व समाज का पीड़ित व्यक्ति है। उन्होंने पार्टी की इस रणनीति का एलान एक बयान में किया है।

मायावती ने कहा है कि भाजपा सरकार में दलितों, आदिवासियों, अति पिछड़ों, मुसलमानों के साथ अपर कास्ट में ब्राह्मण समाज का हर स्तर पर शोषण व उत्पीड़न किया जा रहा है। प्रदेश में चेरी, डकैती, लूटमार, हत्या, महिला उत्पीड़न की घटनाएं आम हो चुकी हैं। हर जिले में प्रति दिन कोई न कोई घटना जरूर हो रही है। 

उन्होंने कहा कि पीड़ितों की मदद के लिए उनका हर घटना स्थल पर जाना बहुत मुश्किल है। ऐसे में पार्टी ने जंगलराज से दु:खी व पीड़ित जनता के हितों में आवाज उठाने व उन्हें न्याय दिलाने के लिए सरकार पर कुछ हद तक अंकुश लगाने के लिए बसपा के वरिष्ठ नेताओं को पीड़ित परिवारों के घर भेजने का फैसला किया है। प्रत्येक समाज के हिसाब से वरिष्ठ लोगों को अधिकृत किया गया है।

उन्होंने बताया कि दलित व आदिवासी समाज के लिए पूर्व मंत्री गयाचरण दिनकर, पिछड़े वर्गों के लिए बसपा विधानमंडल दल के नेता लालजी वर्मा को, मुस्लिम समाज के लिए लखनऊ मंडल व पश्चिमी यूपी के चार मंडलों में शमशुद्दीन राईन को तथा प्रदेश के बाकी 13 मंडलों के लिए प्रदेश अध्यक्ष मुनकाद अली को जिम्मेदारी दी गई है। 

ब्राह्मण समाज व अन्य अपरकास्ट समाज के लिए राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्र को अधिकृत किया गया है। ये नेता किसी अति गंभीर व अति संवेदनशील मामले में किसी घटनास्थल पर जाएंगे तो वहां बसपा के जिलाध्यक्ष व स्थानीय मुख्य सेक्टर प्रभारियों को भी साथ लेकर जाएंगे।