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उपचुनाव के सियासत में उतरे अर्थी बाबा, ऐसे जीता वोटरों का दिल

देवरिया: उत्तर प्रदेश के देवरिया विधानसभा सीट पर 3 नवंबर को होने वाले उपचुनाव का बिगुल बज चुका है. देवरिया के चुनावी रण में अर्थी बाबा की भी एंट्री हो गई है. गोरखपुर के राजन यादव उर्फ अर्थी बाबा भी देवरिया जिले में हो रहे उपचुनाव को लेकर अपनी किस्मत अजमा रहे है. लेकिन उनके प्रचार करने का तरीका अन्य नेताओं से अलग है. नेता जहां भारी भीड़ और लग्जरी गाड़ियों से अपना प्रचार कर रहे है तो वही अर्थी बाबा अकेले ही उपचुनाव के सियासत में उतर पड़े है. वह वोटरों को भगवान के बराबर दर्जा दे रहे है.

जिसके लिए वह नये-नये हथकंडे अपना रहे है. दिव्यांगो का कभी वह पैर धुलकर वोट देने की अपील करते तो कभी जूता पॉलिश कर रहे है. अर्थी बाबा किसानों के खेत को कोड़ कर वह इस उपचुनाव को जीतने के जुगत में लगे है. शहर के मतदाताओ को लुभाने के लिए वह ठेला भी चलाने से पीछे नहीं रहे. इन दिनों वो काफी चर्चा में हैं. वजह ये है कि उन्होंने अपने चुनाव प्रचार के लिए बेहद ही निराला तरीका अपनाया है.

देवरिया के उपचुनाव में 29 साल बाद चारों प्रमुख पार्टियां ने एक साथ चार ब्राह्मण उम्मीदवार को चुनाव मैदान में उतारा है. यह देवरिया के राजनीत में पहला मौका है जब चार ब्राह्मण उम्मीदवार आमने सामने चुनाव के मैदान में उतरे है. समाजवादी पार्टी ने इस बार ब्रह्माशंकर त्रिपाठी तो भारतीय जनता पार्टी ने डा. सत्यप्रकाश मणि त्रिपाठी को चुनावी समर मे उतारा है. कांग्रेस ने मुकुन्द भाष्कर मणिल त्रिपाठी को चुनाव जीतने के लिए उम्मीदवार बनाया है तो वहीं बसपा ने भी सदर सीट पर अभयनाथ त्रिपाठी को उतारा है.
इतने ब्राह्मण मतदाता

देवरिया सदर विधानसभा सीट ब्राह्मण बाहुल्य है, लिहाजा कोई राजनीतिक दल जनेऊधारियों से नाराजगी नहीं मोल लेना चाहता था. इसी वजह से सभी राजनीतिक पार्टियों ने ब्राह्मण उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतारा है. एक आकड़े के मुताबित देवरिया सदर विधानसभा क्षेत्र में साढ़े तीन लाख से अधिक मतदाता ,है जहां 50-55 हजार ब्राह्मण मतदाता है. जिसको लुभाने के लिये सपा, बसपा, कांग्रेस और भाजपा ने यह दाव खेला है.