बसपा सुप्रीमो मायावती का इतिहास देखें तो वे बागियों के खिलाफ नरमी नहीं दिखाती हैं. लिहाजा माना जा रहा है कि पार्टी सभी को निलंबित कर उनके खिलाफ दल-बदल कानून के तहत सदस्यता रद्द करने की अपील करेगी.
राज्यसभा प्रत्याशी को लेकर बगावत करने वाले बसपा के 7 बागी विधायकों की मुश्किलें बढ़ती हुई नजर आ रही हैं. सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक, बसपा गुरुवार को विधानसभा अध्यक्ष हृदयनारायण दीक्षित से मिलकर सभी बागी विधायकों की सदस्यता रद्द करने की अपील करेगी. इतना ही नहीं बसपा इन सभी बागियों के खिलाफ 420 के तहत केस भी दर्ज करवा सकती है.
गौरतलब है कि बुधवार को बसपा में बगावत उस वक्त खुलकर सामने आ गई, जब पार्टी के पांच विधायकों ने राज्य सभा प्रत्याशी रामजी गौतम के प्रस्तावक के तौर पर नाम वापस ले लिया और समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव से मिलने पहुंच गए. हालांकि, बाद में विधायकों ने अखिलेश से मुलाकात की बात का इनकार किया. इस बीच बागी विधायकों की संख्या बढ़कर सात हो गई. पहले पांच विधायकों असलम राइनी, असलम चौधरी, मुज्तबा सिद्दीकी, हाकिम लाल बिंद और हरगोविंद भार्गव का नाम सामने आया. इसके बाद सुषमा पटेल और सगड़ी विधायक वंदना सिंह का नाम भी बागियों के लिस्ट में जुड़ गया.
दल-बदल कानून के तहत कार्रवाई की अपील
बसपा सुप्रीमो मायावती का इतिहास देखें तो वे बागियों के खिलाफ किसी भी तौर की नरमी नहीं दिखाती हैं. लिहाजा माना जा रहा है कि पार्टी सभी को निलंबित कर उनके खिलाफ दल-बदल कानून के तहत सदस्यता रद्द करने की अपील करेगी. बसपा के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा से जब इस बाबत पूछ गया तो उन्होंने खुलकर कुछ नहीं कहा. उन्होंने कहा कि इस बारे में फैसला आगे लिया जाएगा. सतीश चंद्र मिश्रा ने बागियों के आरोपों को भी सिरे से खारिज कर दिया. सतीश चंद्र मिश्रा ने कहा कि ये खरीद फरोख्त की राजनीति समाजवादी की पुरानी परंपरा है. इसमें कोई नई चीज नहीं है. उन्होंने जो संदेशा दिया है, वो अपने खिलाफ दिया है. पूरा देश-प्रदेश उनके खिलाफ थू-थू करने का काम करेगा. मामले में बागी विधायकों पर बसपा की तरफ से कार्रवाई के सवाल पर सतीश चंद्र मिश्रा ने कहा कि कार्रवाई करेंगे, आपको पता लग जाएगा.