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‘तो राजनीति से दे दूंगा इस्तीफा…’, लोकसभा में अजय मिश्रा टेनी ने क्यों दिया ये बयान?

लखीमपुर खीरी कांड की वजह से कांग्रेस समेत विपक्षी दलों के सांसद लगातार अजय मिश्रा टेनी के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। सोमवार को लोकसभा में गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी ने दण्ड प्रक्रिया पहचान विधेयक 2022 पेश किया। इस बिल के बारे में जब वह बता रहे थे, तब कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने हूंटिंग करना शुरू कर दिया।

इसे लेकर टेनी ने कहा कि, मैं अधीर रंजन चौधरी को बताना चाहता हूं कि मैंने 2019 में भी लोकसभा के लिए नामांकन दाखिल किया था। अगर मेरे खिलाफ एक भी मामला है, अगर मैं एक मिनट के लिए भी थाने गया हूं या एक मिनट के लिए भी जेल गया हूं, तो साबित कीजिए। मैं राजनीति से संन्यास ले लूंगा।

इस अधिनियम से जांच एजेंसियों को फायदा
अजय मिश्रा टेनी ने कहा, मौजूदा बन्दी शिनाख्त अधिनियम साल 1920 में बना था और उसमें केवल फिंगर और फुट प्रिंट लिया जाता था। दुनिया में बहुत से चीजें बदली हैं, आपराधियों को और अपराध करने का जो ट्रेंड बढ़ा है इसलिए हम दण्ड प्रक्रिया शिनाख्त अधिनियम 2022 लेकर आए हैं। इससे हमारे जांच एजेंसियों को फायदा होगा और प्रॉसिक्यूशन बढ़ेगा। प्रॉसिक्यूशन के साथ-साथ कोर्ट में दोषसिद्धि की प्रतिशत भी बढ़ने की पूरी संभावनाएं हैं।

दावे से इतर मंत्री का लंबा आपराधिक इतिहास
अजय मिश्रा भले ही सदन में चैलेंज दे रहे हों लेकिन उनका आपराधिक इतिहास भी लंबा है। 1990 में ही इन पर आपराधिक मामला दर्ज हुआ, 1996 में हिस्ट्रीशीटर घोषित किए गए, जिसकी नोटिस बाद में रद्द हो गई। वहीं 2000 में हत्या मामले में इन पर मुकदमा हुआ, जिस पर ये निचली अदालत से बरी हो गए मगर मामला अभी उच्च न्यायालय में चल रहा है।

बेटे की वजह से इस्तीफे की मांग
दरअसल, टेनी के बेटे आशीष मिश्रा मोनू पर लखीमपुर में किसानों को अपनी गाड़ी से कुचलकर मारने का आरोप लगा था। इस मामले में आशीष जेल भी गए थे लेकिन चुनाव के दौरान उन्हें जमानत मिल गई थी। इसी मामले को लेकर विपक्ष लगातार केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के इस्तीफे की मांग कर रहा है।