जालौन । उत्तर प्रदेश पुलिस में हमेशा ऐसे व्यक्तित्व चर्चा में आते रहते हैं जिनकी चर्चा सरेआम हुआ करती। कुछ ऐसा ही व्यक्तित्व रहा है UPP के सुपर कॉप डिप्टी एसपी त्रिपुरारी पांडे का, जो दुर्भाग्य से अब हमारे बीच नहीं रहे।
जालौन में थी वर्तमान तैनाती, UPP के बने सुपर कॉप
डिप्टी एसपी त्रिपुरारी पांडेय की तैनाती इन दिनों जालौन के पुलिस सेंटर पर थी। वहां वे सीओ के पद पर नियुक्त किए गए थे। परिवार के लोगों का कहना है कि आंत की बीमारी के कारण लखनऊ में उनका ऑपरेशन कराया गया था। ऑपरेशन के बाद से उनका स्वास्थ्य बिगड़ने लगा। मल्टी ऑर्गन फेल होने के कारण उनका निधन हो गया। त्रिपुरारी पांडेय ने कानपुर शहर में सिपाही पद से पुलिस करियर की शुरुआत की। इसके बाद दारोगा बने। फिर उन्हें इंस्पेक्टर बनाया गया। डीएसपी पद पर प्रमोशन मिलने के बाद उन्हें सीओ की भूमिका मिली।
UPP में सिपाही से शुरू हुआ सफर डिप्टी एसपी तक पहुंचा
त्रिपुरारी पांडेय की नियुक्ति वर्ष 1988 में सिपाही के पद पर हुई थी। दिलेर कलेजा और कसरती शरीर वाले त्रिपुरारी जल्द ही अपराधियों में अपने नाम का खौफ पैदा कर दिए। फील्ड में इनका नेटवर्क बेजोड़ रहा। आखिर शेर को जंजीर में नही बांध कर रखा जा सकता, यही हाल त्रिपुरारी का भी रहा।अपराधियों के प्रति कोई नरमी कभी नहीं रही इनमे। अपराधियों के बीच धीरे धीरे इन्होंने काउंटर नेटवर्क इतना तगड़ा बनाया की ताबड़तोड़ एनकाउंटर शुरू किए। निशाना तो बेजोड़ था, एनकाउंटर में इनकी गोली कभी मिस नहीं की, न ही इन्होंने कभी चंगुल में आए अपराधी को सेफ पैसेज नही दिया। एक दौर में ताबड़ तोड़ एनकाउंटर ने अपराधियों में इनकी दहशत बैठ गई और ये “बाबा” के नाम से चर्चित हो गए।त्रिपुरारी पांडेय ने यूपी पुलिस के सुपरकॉप नाम पाया और इसे हमेशा बरकरार रखा। कितना ही बड़ा अपराधी क्यों न हो बाबा के पैरों पर इसको गिरना ही था।
कई खतरनाक अपराधियों को आमने सामने हुई मुठभेड़ में मारे
एक दौर में संजय ओझा गैंग, बावरिया गैंग को उन्होंने निशाने पर लिया। कई अपराधियों को उन्होंने मौत के मुंह में डाला। अपराधियों से भिड़ने को लेकर उनकी चर्चा शुरुआती दिनों में ही होने लगी थी। त्रिपुरारी पांडेय को याद करते हुए पुलिस महकमे के अधिकारी कहते हैं कि उनकी चर्चा 80 फीट रोड पर हड्डी गोदाम से एक अपराधी को पकड़ने को लेकर हुई थी। अपराधी को पकड़ने में बड़े अधिकारी सफल नहीं हो रहे थे। अपने तगड़े नेटवर्क का यूज कर कॉन्स्टेबल त्रिपुरारी पांडेय ने अपराधी को पकड़कर सलाखों के पीछे पहुंचाया तो ऊपरी अधिकारियों की नजर उन पर पड़ी। कानपुर के कलक्टरगंज, फजलगंज समेत कई थानों में सिपाही रहे त्रिपुरारी पांडेय को उनके कार्य के लिए याद किया जाता है।
UP के चर्चित ARTO वसूली सिंडीकेट गैंग का किए खुलासा
एआरटीओ वसूली सिंडिकेट को ध्वस्त करने में उनकी भूमिका को कौन भूल सकता है।आपको बता दें कि त्रिपुरारी पांडेय मुगलसराय में जीआरपी के इंस्पेक्टर पर तैनात रहने के साथ-साथ चंदौली जनपद में पुलिस क्षेत्राधिकारी सकलडीहा, चकिया और सदर के रूप में भी लंबे समय तक काम किया था। उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान ही एआरटीओ आरएस यादव के खिलाफ कार्रवाई की थी। उसके बाद उनको जेल जाना पड़ा था। इस मामले में पुलिस क्षेत्राधिकारी त्रिपुरारी पांडेय के एक्शन की खूब चर्चा हुई थी।
त्रिपुरारी पांडेय मूल रूप से आजमगढ़ के रहने वाले थे
त्रिपुरारी पांडे मूल रूप स वे आजमगढ़ के रहने वाले थे। 6 जुलाई 1966 को उनका जन्म हुआ था। बावरिया गिरोह के कई अपराधियों का एनकाउंटर और संजय ओझा के शूटरों को एनकाउंटर में ढेर करने के बाद यूपी पुलिस प्रशासन त्रिपुरारी पांडेय की अनदेखी नहीं कर पाया। पुलिसिंग को पैशन मानने वाले त्रिपुरारी पांडेय आउट ऑफ टर्न प्रमोशन दिया गया। 20 दिसंबर 2016 को उन्हें पीपीएस अधिकारी के तौर पर प्रमोशन देते हुए एडिशन एसपी बनाया गया। वहीं, 30 मार्च 2021 को उनकी सेवाओं को ध्यान में रखते हुए डिप्टी एसपी के पद पर सीनियर स्केल में प्रोन्नत किया गया।उन्होंने जीवन का एक लंबा समय कानपुर में बिताया था।
असहायों के मसीहा के तौर पर पहचान
अपराधियों के प्रति सख्त यह सुपर कॉप जरूरतमंदों के लिए हमेशा एक पैर पर खड़े रहने वाले व्यक्ति थे। एक तरह से इनके अंदर एक पैशन था की असहायों की कितनी मदद कर दी जाए। कोई भी फरियादी उनके यहां से खाली हाथ नहीं लौटता था। वर्ष 2022 में उन्होंने चंदौली की एक गरीब बेटी की शादी कराई थी। वादे को पूरा करने के लिए वे खुद कानपुर से पत्नी सहित सकलडीहा पहुंचे थे। दोनों ने मिलकर कन्यादान किया। धूमधाम से शादी हुई। सकलडीहा के सीओ पद पर रहते हुए उन्होंने गरीब बेटी की शादी कराने की बात कही थी।कोविड के दौरान गरीबों की मदद करने से लेकर कई बेटियों की शादी और बच्चों की पढ़ाई का खर्च त्रिपुरारी पांडेय उठाते थे। बर्रा में अपहरण कर मारे गए संजीत की बहन की पढ़ाई का खर्च भी वे उठा रहे थे। संजीत की मौत को त्रिपुरारी ने अपना फेल्योर माना था। वह संजीत की बहन को अपनी बहन कहते थे। रक्षाबंधन पर राखी भी बंधवाने आते थे।
जीआरपी में नियुक्ति के दौरान प्रमोशन
त्रिपुरारी पांडेय को जीआरपी में इंस्पेक्टर के पद पर नियुक्ति के दौरान उन्हें डीएसपी पद पर प्रमोशन मिला था। कानपुर के कर्नलगंज में एसीपी पर आखिरी पोस्टिंग थी। 3 जून 2022 को हुई हिंसा के मामले में उन्हें जालौन ट्रेनिंग सेंटर भेजा गया था। उसी समय किडनी और लिवर की बीमारी ने उन्हें घेर लिया। त्रिपुरारी पांडेय अपने पीछे पत्नी और दो बेटों को छोड़ गए। उनके एक बेटे की शादी कानपुर में ही हुई है।
ढाई दशक तक कानपुर में रहे तैनात
त्रिपुरारी पांडेय ने यूपी पुलिस की नौकरी में ढाई दशक तक कानपुर में अपनी सेवाएं दी। कानपुर हिंसा के बाद उनके खिलाफ कई शिकायतें सरकार के पास आई थीं। इसके बाद उन्हें पुलिस ट्रेनिंग सेंटर भेजा गया। त्रिपुरारी पांडेय की नियुक्ति वर्ष 1988 में सिपाही के पद पर हुई थी। करीब 10 साल की सेवा के बाद वर्ष 1998 में उन्हें पहला आउट ऑफ टर्न प्रमोशन मिला। उन्हें हेड कॉन्स्टेबल बनाया गया। 2002 में उन्होंने दारोगा की परीक्षा दी और पास हुए। दारोगा के पद पर रहते हुए वर्ष 2005 में दोबारा आउट ऑफ टर्न प्रमोशन दिया गया। त्रिपुरारी पांडेय इंस्पेक्टर पद पर तैनात किए गए।
35 साल की नौकरी में से 25 साल से अधिक कानपुर रहे
वर्ष 2016 में तय समय बाद डीएसपी के पद पर उनका प्रमोशन हुआ। 35 साल की नौकरी में से 25 साल से अधिक वे कानपुर में रहे। कुछ समय उन्होंने वाराणसी, लखनऊ, गोरखपुर, चंदौली, मुगलसराय जीआरपी में रहे। कानपुर जीआरपी में भी उनका लंबा समय गुजारा। कानपुर को उन्होंने अपना गढ़ बनाया था। अधिकारियों से लेकर नेताओं तक सबके प्रिय थे।2018-19 में उनका ट्रांसफर लखनऊ कमिश्नरेट में हुआ था। लेकिन फिर वे कानपुर वापस आ गए थे।
केंद्रीय मंत्री डॉ. महेन्द्र नाथ पांडेय ने शोक जताया
चंदौली जिले में भी सीओ के पद पर त्रिपुरारी पांडेय की तैनाती रही। उनके निधन पर केंद्रीय मंत्री डॉ. महेन्द्र नाथ पांडेय ने शोक जताया। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यूपी पुलिस ने एक कुशल पुलिस अधिकारी खो दिया। शोकाकुल परिवार को ईश्वर दुख सहने की शक्ति प्रदान करें। उन्होंने कहा कि एक योग्य कर्मठ पुलिस अधिकारी वर्तमान में जालौन सीओ पद पर तैनात थे। उनके निधन का दुखद समाचार सुनकर हैरान हूं। एक योग्य पुलिस अधिकारी हम लोगों के बीच में नहीं रहे।
असीम अरुण ने जताया शोक
यूपी सरकार में राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार असीम अरुण ने त्रिपुरारी पांडेय के निधन पर शोक जताया है। उन्होंने कहा कि त्रिपुरारी पांडेय और मैंने कानपुर में साथ काम किया था। वे बहुत कर्मठ, सहज और संवेदनशील पुलिस अधिकारी थे। कानपुर पुलिस कमिश्नरेट की स्थापना के शुरुआती दिनों में उन्होंने बहुत अहम भूमिका निभाई। प्रभावी एवं जनोन्मुखी पुलिसिंग की अमिट छाप छोड़ी। पूर्व पुलिस अधिकारी असीम अरुण ने शोक संदेश में कहा कि ईश्वर उनकी दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें और परिवार को दुख सहन शक्ति प्रदान करें।