मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एमएनएनआईटी) के होनहार शोधार्थी जितेंद्र प्रसाद ने गंगा की मिट्टी से बिजली उत्पादन की तकनीक विकसित की है। जितेंद्र को इस अभिनव शोध के लिए राष्ट्रपति के हाथों ‘गांधीवादी यंग टेक्नोलॉजिकल इनोवेशन (ज्ञाति) अवार्ड’ से सम्मानित किया जाएगा। शोधछात्र जितेंद्र पिछले चार वर्षों से इस शोध कार्य में लगे हुए थे और कड़ी मेहनत के बाद उन्हें यह उपलब्धि हासिल हुई। एमएनएनआईटी के शोध छात्र जितेंद्र प्रसाद प्रो. रमेश कुमार त्रिपाठी के अधीन इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग में पीएचडी कर रहे हैं।
जितेंद्र ने गंगा नदी की मिट्टी से बिजली उत्पादन की जो तकनीक विकसित की है, उसके तहत पहले 12 वोल्ट की बैटरी को चार्ज किया और फिर इसे 230 वोट के एसी वोल्टेज में बदलकर बिजली के बल्ब को नौ घंटे तक जलाया। इसके लिए जितेंद्र ने प्रयोगशाला में रोज 14-14 घंटे तक काम किया और चार वर्षों की कड़ी मेहनत के बाद इस टेक्नोलॉजी को विकसित किया।
इस टेक्नोलॉजी के जरिए न सिर्फ दूर-दराज के इलाकों को बिजली मिलेगी, बल्कि इलेक्ट्रॉनिक्स डिवाइस, सैन्य वायरलेस को शक्ति का स्नोत प्रदान करने में भी यह तकनीक काम आएगी। यह नवाचार इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के लिए एक शक्ति स्नोत के रूप में भी सुविधा प्रदान करेगा। इस तकनीक से बिजली उत्पादन में किसी तरह का प्रदूषण नहीं होता है। जितेंद्र का यह अभिनव शोध भविष्य में अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
अपने गांव में अकेले इंजीनियरिंग हैं जितेंद्र
जितेंद्र का जन्म गाजीपुर के शक्करपुर गांव के छोटे परिवार में हुआ था। उनके पिता रामकृत प्रजापति सेतु निगम में इलेक्ट्रीशियन के पद से रिटायर हो चुके हैं और मां ग्रहणी हैं। जितेंद्र अपने गांव में टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में बीएटेक, एमटेक और पीएचडी करने वाले एकमात्र युवा हैं।
जितेंद्र ने एमएनएनआईटी में 2016 से पीएचडी कर रहे हैं। उन्हें पीएचडी के दौरान भी मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी
गवर्नमेंट ऑफ इंडिया से स्कॉलरशिप मिल रही है।
देश भर से अवार्ड के लिए चुने गए सात शोधार्थी
पूरे भारत से ‘गांधीवादी यंग टेक्नोलॉजिकल इनोवेशन (ज्ञाति) अवार्ड’ के लिए सात शोधार्थियों को चुना गया है। इस प्रतिष्ठित पुरस्कार की सेलेक्शन कमेटी में पांच पद्मश्री और दो पद्मविभूषण प्राप्त वैज्ञानिक एवं अन्य आईआईटी के प्रोफेसर थे, जिन्होंने जितेंद्र प्रसाद का साक्षात्कार लिया। भारत के 31 राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान में सिर्फ एमएनएनआईटी इलाहाबाद के जितेंद्र प्रसाद को यह अवार्ड मिला है।