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जबड़े पर लगी थी गोली, 8 साल से कोमा में थे... आतंकी हमले में घायल सेना अधिकारी ने तोड़ा दम

जबड़े पर लगी थी गोली, 8 साल से कोमा में थे… आतंकी हमले में घायल सेना अधिकारी ने तोड़ा दम

चंडीगढ़: लेफ्टिनेंट कर्नल करणबीर सिंह नट का 8 साल कोमा में रहने के बाद निधन हो गया है। वे आतंकी की गोली लगने के बाद घायल हुए थे। उन्हें जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा में एक मुठभेड़ के दौरान गोली लगी थी, जिससे वे गंभीर रूप से घायल हो गए थे। साल 2015 में एलओसी के पास एक ऑपरेशन के दौरान एक आतंकी ने उनके जबड़े में गोली मार दी थी। जिसके बाद से वे कोमा में थे। करणबीर सिंह की मौत पंजाब के एक सैन्य अस्पताल में हुई। उनका निधन शनिवार को हुआ।

दरअसल कुपवाड़ा के पास एक गांव में आतंकवादी छिपे हुए थे, जिनकी तलाशी का नेतृत्व करणबीर सिंह नट कर रहे थे। 22 नवंबर 2015 में हुए इस ऑपरेशन के दौरान घात लगाकर बैठे आतंकियों ने अचानक उनपर फायरिंग कर दी। इस हमले में उनके चेहरे पर गंभीर चोटें आईं थीं। घायल होने के बाद उन्हें श्रीनगर के सैन्य अस्पताल ले जाया गया था। इसके बाद आगे के इलाज के लिए उन्हें नई दिल्ली के सेना अनुसंधान और रेफरल अस्पताल भेज दिया गया। यहां जान बचाने के लिए उनकी सर्जरी की गई थी।

फूड पाइप से दिया जाता था जूस और सूप

लेफ्टिनेंट कर्नल करणबीर सिंह नट पंजाब के बटाला के रहने वाले थे। उनका जन्म 18 मार्च 1976 को हुआ था। उनके पिता भी सेना में थे। उनका पिता जगतार सिंह कर्नल थे। नट का पिछले करीब आठ साल से जालंधर के मिलट्री अस्पताल में इलाज चल रहा था। हादसे के बाद से वह कोमा में थे। फूड पाइप के जरिए उन्हें सूप और जूस दिया जाता था।

कौन थे लेफ्टिनेंट कर्नल करणबीर सिंह नट

लेफ्टिनेंट कर्नल करणबीर को सेना के मेडल से सम्मानित किया जा चुका था। उनका परिवार मूल रूप से बटाला के पास धडियाला नट गांव का रहने वाला था। उनके परिवार में उनकी पत्नी और दो बेटियां हैं। उनकी पत्नी का नाम नवप्रीत कौर और बेटियां गुनीत और अशमीत हैं। उन्हें 1998 में द ब्रिगेड ऑफ गार्ड्स में शॉर्ट सर्विस कमीशन अधिकारी के रूप में नियुक्त किया गया था। वे 2012 में सेवा मुक्त हुए थे। इससे पहले 14 साल तक उन्होंने रेजिमेंट में सेवा की। उन्होंने शॉर्ट सर्विस कमीशन अधिकारी के रूप में सेवा दी थी। यह सेवा पूरी होने के बाद वे प्रादेशिक सेना में शामिल हुए थे।

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