इसरो ने मिशन गगनयान की टेस्ट फ्लाइट का सफल प्रक्षेपण कर लिया है। बाद में ये दो बार 45 मिनट के लिए टाला गया। इसका ऐलान इसरो चीफ एस सोमनाथ ने किया। अब इसी बीच लोगों को इसरो चीफ के सिवन का वो वाक्या याद आने लगा जब उनके आंखों में आंसू आ गए थे। चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम से संपर्क टूटने के बाद सिवन पीएम मोदी के सामने फफक कर रो पड़े थे। उस समय पीएम मोदी ने उन्हें गले लगाकर ढांढस बंधाया था।
बात सितंबर 2019 की थी जब चंद्रयान-2 मिशन के दौरान अपने लैंडर के चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने में असफल रहा था। अंतिम क्षणों में लैंडर की क्रैश लैंडिंग हुई थी। इसरो के वैज्ञानिकों के साथ पीएम मोदी खुद 6 सितंबर के इसरो के हेडक्वार्टर बेंगलुरू में मौजूद थे। पीएम मोदी भी चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग की ऐतिहासिक कामयाबी का गवाह बनना चाहते थे।
लेकिन अब आखिरी पलों में यह मिशन सफल नहीं हो पाया था। लैंडर से संपर्क टूटने के बात इसरो के वैज्ञानिक पूरी तरह मायूस हो गए। लैंडर विक्रम से सपंर्क तब टूटा जब वह चांद की सतह से 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई पर था। ऐसे में जब पीएम मोदी तत्कालीन इसरो चीफ सिवन से मिले तो सिवन अपनी भावनाओं पर काबू नहीं रख सके थे। इस पर पीएम मोदी ने उनका हौंसला बढ़ाया था।
शनिवार को 2 घंटे की देरी और टीवी-डी1 इंजन के शुरुआत में तय प्रक्रिया के तहत चालू नहीं हो पाने के बाद पैदा हुई घबराहट के बीच इसरो के वैज्ञानिकों ने रॉकेट का सटीक प्रक्षेपण किया। यान के ‘क्रू मॉड्यूल’ (जिसमें अंतरिक्ष यात्री सवार होंगे) और ‘क्रू एस्केप’ (चालकदल बचाव प्रणाली) के अलग होने का लक्ष्य हासिल करते ही श्रीहरिकोटा स्थित मिशन नियंत्रण केंद्र में सांसें थाम कर बैठे वैज्ञानिकों ने तालियां बजाकर इसका स्वागत किया। इसरो चीफ सोमनाथ ने घोषणा की कि टीवी-डी1 मिशन पूरी तरह सफल रहा। तय योजना के अनुसार पेलोड बाद में समुद्र में सुरक्षित तरीके से गिर गए।
इसरो ने सिंगल स्टेज लिक्विड प्रोपल्शन वाले रॉकेट के इस प्रक्षेपण के जरिये मानव को अंतरिक्ष में भेजने के अपने महत्वाकांक्षी कार्यक्रम ‘गगनयान’ की दिशा में आगे कदम बढ़ाया। इसरो का लक्ष्य तीन दिन के गगनयान मिशन के लिए मानव को 400 किलोमीटर की पृथ्वी की निचली कक्षा में अंतरिक्ष में भेजना और पृथ्वी पर सुरक्षित वापस लाना है। इसरो ने शुक्रवार को कहा था कि, इस परीक्षण उड़ान की सफलता शेष परीक्षणों और मानवरहित मिशन के लिए आधार तैयार करेगी। इससे पहला गगनयान कार्यक्रम शुरू होगा।