हाथरस : उत्तर प्रदेश के हाथरस विधानसभा के गांव बिलखोरा में सड़क की समस्या का समाधान न होने पर ग्रामीणों का गुस्सा फिर देखने को मिला। ग्रामीणों ने गांव में बने सरकारी स्कूलों में ताले डाल दिये है। दो दिन से ग्रामीण विरोध कर रहे हैं लेकिन कोई अफसर या जनप्रतिनिधि उनके बीच समाधान को लेकर नहीं पहुंचा। 2019 में लोकसभा चुनाव व 2022 में विधानसभा चुनावों में भी सड़क की मांग को लेकर वोट बहिष्कार किया था, जिसे आश्वाशन के बाद खत्म कर दिया था । आज अधिकारी हो या जनप्रतिनिधियों की भीड़ लोकसभा चुनाव को लेकर गांव – गांव जा कर लोगों को चुनाव के लिए जागरूक करने में जुटे है,भाजपा के प्रतिनिधि गांव में रात्रि निवास कर सरकार की योजनाओं से ग्रामीणों को रूबरू करा रहे हैं, ऐसे में ग्रामीणों का ये धरना, मतदान बहिष्कार करते हुए लगाए जा रहे नारे सड़क नहीं तो वोट नही, सड़क नही तो शिक्षा नही सरकार की भाजपा के गांव चलो अभियान को पलीता लगा रहा है।
हाथरस की सासनी तहसील के गांव बिलखौरा खुर्द में सड़क नहीं बनने से नाराज ग्रामीणों ने 6 फरवरी को अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजा था, 7 फरवरी को स्कूल पर ताला डाल दिया। इनका कहना है कि जब कक्षा पांच के बाद आगे की पढ़ाई करने के लिए बच्चे जा नहीं सकते तो फिर पढ़ाने का क्या फायदा। उन्होंने पूर्व माध्यमिक विद्यालय पर नारेबाजी कर प्रदर्शन भी किया। ग्रामीणों ने सड़क नहीं तो वोट नहीं, सड़क नहीं तो शिक्षा नहीं के नारे भी लगाए।आक्रोशित ग्रामीणों का कहना था कि संपर्क मार्ग नहीं बनेगा, तब तक हम अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजेंगे। ग्रामीणों का कहना है कि जब बच्चे कक्षा पांच से आगे पढ़ने के लिए सासनी तक नहीं पहुंच सकते हैं, तो इतना भी क्यों पढ़ाएं। प्राइवेट स्कूलों की बसें भी गांव में आने से कतराती हैं। इस कारण निजी स्कूलों में भी बच्चे नहीं पहुंच पाते हैं। हल्की सी बरसात होने पर ही सड़क पर इतनी कीचड़ हो जाता है उसे गाड़ियां फिसल जाती है और छोटे आती है कई लोगों के पैर हाथ टूट चुके हैं 2022 विधानसभा चुनाव का बहिष्कार किया था लेकिन अधिकारियों ने आश्वासन दे कर मतदान बहिष्कार को तुड़वा दिया था। लेकिन किसी अधिकारी या जनपद देना ईश्वर ध्यान नहीं दिया। सड़क बनने तक सरकारी स्कूलों को नहीं खोलने देंगे।
कई बार समस्या से अधिकारियों को भी अवगत करा चुके हैं लेकिन समाधान नहीं हुआ। शिक्षकों ने बताया कि वो गांव में जा कर बच्चों को विद्यालय भेजने का अनुरोध कर रहे है, पर ग्रामीण किसी कीमत पर बच्चों को विद्यालय भेजने को तैयार नही है। गांव के मौलाना ने बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री के साफ आदेश है कि सड़कों को दुरुस्त किया जाय, पर जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों का ध्यान इस ओर नही जाता।