भारत के खिलाफ चीन और पाकिस्तान का गठजोड़ दिन पर दिन मजबूत होता जा रहा है. चीन ने इसी सप्ताह अपने चार सबसे आधुनिक युद्धपोत में से एक की लॉन्चिंग कर दी है. चीन इन युद्धपोतों को पाकिस्तान के लिए बना रहा है. चीन और पाकिस्तान के बीच रक्षा उकरणों को लेकर ये सहयोग ऐसे वक्त में सामने आया है जब दोनों के साथ ही भारत का तनाव जारी है. पाकिस्तान और चीन के बीच मजबूत होती सैन्य साझेदारी भारत के लिए चिंता बढ़ाने वाली है.
पाकिस्तानी नौसेना ने रविवार को कहा कि चीन की सरकारी शिपयार्ड हुडोंग जोंगुआ ने Type-054A/P युद्धपोत की लॉन्चिंग सेरेमनी को आयोजित किया. पाकिस्तानी नौसेना ने अपने बयान में कहा कि इन युद्धपोतों से हमें अपने क्षेत्र में शांति और स्थिरता कायम करने में मदद मिलेगी. बयान में इस युद्धपोतों की लागत का जिक्र नहीं किया गया है हालांकि, रिपोर्ट्स के मुताबिक हर एक युद्धपोत की कीमत 350 मिलियन डॉलर से ज्यादा है.
पाकिस्तानी सेना के बयान के मुताबिक, ये जहाज पाकिस्तानी नौसेना के सबसे आधुनिक और बड़े जहाजों में से एक होंगे और भविष्य की चुनौतियों से निपटने में मदद करेंगे.
चीनी कंपनी चारों युद्धपोतों को पाकिस्तान को साल 2021 तक सौंप सकती है. चीनी मीडिया के मुताबिक, इससे पाकिस्तानी नौसेना की कॉम्बैट क्षमता दोगुनी हो जाएगी. पाकिस्तानी अधिकारियों का कहना है कि Type-054A/P frigate चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी नेवी का भी हिस्सा है और इसकी बैकबोन माने जाते हैं. चीन और पाकिस्तान मिलकर कई अन्य सैन्य उपकरणों का भी उत्पादन कर रहे हैं जिसमें जेएफ-17 कॉम्बैट एयरक्राफ्ट भी शामिल है.
कुछ दिन पहले ही पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने एक इंटरव्यू में कहा था कि पाकिस्तान का भविष्य अब चीन के ही साथ है. हालांकि, चीन का पाकिस्तान में बढ़ता दखल भारत के लिए बिल्कुल अच्छा संकेत नहीं है. इससे पाकिस्तान के सामरिक ठिकानों पर भी चीन का नियंत्रण बढ़ सकता है. चीन और पाकिस्तान दोनों से भारत की जंग हो चुकी है. चीन ने भारत पर 1962 में हमला कर लद्दाख का बड़ा हिस्सा अपने कब्जे में कर लिया था. पाकिस्तान को भारत के साथ हर जंग में मुंह की खानी पड़ी है.
अब कहा जाता है कि अगर चीन या पाकिस्तान किसी से भारत का टकराव बढ़ता है तो भारत को दोनों देशों का सामना करना पड़ेगा. भारत के पूर्व सेना प्रमुख और वर्तमान सीडीएस जनरल बिपिन रावत भी कह चुके हैं कि भारत की सेना एक साथ ढाई मोर्चे से जंग के लिए तैयार है. मतलब भारत को भी इस बात का अंदाजा है कि अब जंग किसी एक मोर्चे से नहीं बल्कि एक साथ कई मोर्चों से संभव है.
पाकिस्तान और चीन के बीच सिर्फ सैन्य साझेदारी ही नहीं बल्कि आर्थिक साझेदारी भी मजबूत हुई है. पाकिस्तान चीन की बेल्ट ऐंड रोड इनिशिएटिविट (बीआरआई) की वैश्विक मुहिम का भी हिस्सा है. चाइना-पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) के तहत चीन पिछले छह सालों में पाकिस्तान में करीब 30 अरब डॉलर का निवेश कर चुका है. चीन पाकिस्तान में सड़कें, बंदरगाह और पावर प्लांट का निर्माण कर रहा है. हालांकि, आलोचकों का कहना है कि चीनी निवेश कर्ज में डूबे पाकिस्तान का बोझ और बढ़ाएगा.
अमेरिकी अधिकारियों और पश्चिम के तमाम विश्लेषकों का कहना है कि चीन पाकिस्तान के लिए एक कर्ज का जाल है. हालांकि, चीन इन आलोचनाओं को खारिज करते हुए कहा है कि जानकारी ना होने की वजह से पाकिस्तान और उसके बीच सहयोग को लेकर ऐसी बातें कही जा रही हैं. चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग इस साल पाकिस्तान का दौरा करने वाले हैं. पाकिस्तानी अधिकारियों का कहना है कि इस दौरे में बेल्ट ऐंड रोड से जुड़ी परियोजनाओं पर ही पूरा जोर रहेगा. शी जिनपिंग मई महीने में ही पाकिस्तान का दौरा करने वाले थे लेकिन कोरोना वायरस महामारी की वजह से रद्द हो गया.
पिछले सप्ताह चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने पाकिस्तानी समकक्ष शाह महमूद कुरैशी की मेहमाननवाजी की. दोनों देशों ने सीपीईसी के तहत एक नई मेगा डील पर हामी भरी. इसमें पाकिस्तान की रेल कनेक्टिविटी सुधारने के लिए 6.8 अरब डॉलर की परियोजनाओं पर काम करने को लेकर समझौता हुआ. इस बैठक के बाद दोनों देशों ने साझा बयान में कहा था कि चीन और पाकिस्तान की दोस्ती हमेशा वक्त की कसौटी पर खरी उतरी है और दोनों देशों के बीच सदाबहार रणनीतिक साझेदारी एक बार फिर से साबित हुई है.