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अस्पताल के इन दृश्यों को देखकर भगवा सरकार से नफरत लाजमी है..

मरीजों को इलाज मुहैया कराने के लिए तीमारदारों को लखनऊ के केजीएमयू में धक्के खाने पड़ रहे हैं। तीमारदार मरीज का स्ट्रेचर खींच रहे हैं। तपती धूप और उमस में तीमारदार मरीजों को स्ट्रेचर पर लादकर सड़क पार मुख्य परिसर में ले जाने को मजबूर हैं।

केजीएमयू में 4500 बेड हैं। मरीजों को बेहतर इलाज मुहैया कराने के लिए 450 डॉक्टर व 1000 रेजिडेंट हैं। करीब 10 हजार नियमित व संविदा कर्मचारियों की फौजा है। एशिया का सबसे ज्यादा बेड वाले केजीएमयू का सालाना बजट करीब 910 करोड़ रुपये है। इसके बावजूद मरीजों को इलाज की मुकम्मल सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं।

शिफ्ट करने की व्यवस्था बदहाल

ट्रॉमा सेंटर के सामने वृद्धावस्था मानसिक स्वास्थ्य विभाग में होल्डिंग एरिया बनाया गया है। सबसे पहले यहीं मरीज भर्ती किए जाते हैं। कोरोना जांच के बाद मरीजों को ट्रॉमा व दूसरे संबंधित विभागों में शिफ्ट किया जाता है। मरीजों को होल्डिंग एरिया से विभागों में शिफ्ट करने की व्यवस्था एकदम बदहाल है। तीमारदार स्ट्रेचर से मरीजों को खींचकर ले जाने को मजबूर हैं। बीच में अति व्यस्ततम वाली रोड है। इसे पार करने में तीमारदारों को पसीना छूट रहा है। धूप में तीमारदार लाइन लगाकर रोड पार करने को मजबूर हैं। ट्रॉमा सेंटर के सीएमएस डॉ. संतोष कुमार के मुताबिक एम्बुलेंस कोविड मरीजों को शिफ्ट करने में लगाई गई हैं। लिहाजा उनसे सामान्य मरीजों को नहीं शिफ्ट किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि पांच बेसिक लाइफ सपोर्ट और तीन एडवांस लाइफ सपोर्ट एम्बुलेंस क्रय की जानी है। इसकी खरीद प्रक्रिया चल रही है।