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सुल्तानपुर ट्रिपल मर्डर के आरोपी, बन रहा था टॉप क्लास का शूटर, हुआ ये खौफनाक अंजाम

गोरखपुर के तारामंडल इलाके से अपहृत सर्वेश उर्फ राज सिंह की बिहार के गया में हुई हत्या व उसके पास से मिली पर्ची आपसी दुश्मनी की तरफ इशारा कर रही है। आशंका यही है कि सर्वेश की हत्या सुशील गैंग या फिर सुल्तानपुर ट्रिपल मर्डर के प्रतिशोध में की गई है। क्योंकि उस हत्याकांड के बाद उसका नाम शूटर के रूप में सामने आया था।

गोरखपुर के बेलघाट थाना क्षेत्र के पिपरसंडी गांव निवासी फौजी देव नारायण सिंह का बेटा सर्वेश उर्फ राज सिंह कम उम्र में ही मुम्बई कमाने गया। वहां उसकी दोस्ती अंडरवर्ल्ड के लोगों से हो गई। वह टॉप क्लास का शूटर बन गया। हालांकि गोरखपुर पुलिस के रिकॉर्ड में उसकी छवि एकदम बेदाग रही। मां-बाप को भी उसके आपराधिक कृत्य की भनक तब लगी जब वह वर्ष 2015 में सुल्तानपुर में ट्रिपल मर्डर में गिरफ्तार हुआ। हालांकि मां किशोरी देवी को अब भी लगता है कि ट्रिपल मर्डर में उनके बेटे को फंसाया गया था। 12 जून 2015 को कादीपुर गांव के पास प्रशांत सिंह, देवनारायन और शिव कुमार की हत्या कर दी गई थी। 22 जून को सुल्तानपुर पुलिस ने सर्वेश उर्फ राज के अलावा अखिलेश तिवारी और अजय पाण्डेय को गिरफ्तार किया था। बताया गया कि जेल में बंद एक अपराधी से सुपारी लेकर यह हत्या की गई।

जेल से जमानत पर छूटने बाद अक्तूबर 2019 में अखिलेश तिवारी की गोली मार कर हत्या कर दी गई थी। अखिलेश की हत्या को ट्रिपल मर्डर से ही जोड़कर देखा गया था। वहीं सर्वेश अपने घर गोरखपुर आ गया था। सर्वेश का परिवार तारामंडल इलाके में किराये का मकान लेकर रहने लगा। सर्वेश भी अपनी मां व पिता के साथ रहता था। इस बीच छह अगस्त 2020 को बोलेरो सवार बदमाशों ने सर्वेश को उसके घर से अगवा कर लिया और दस अगस्त 2020 को उसकी बोरे में सिर कटी लाश बिहार के गया जिले में मिली थी। एक गाड़ी नम्बर के सहारे सात सितम्बर को जब बिहार पुलिस गोरखपुर आई तब सर्वेश की पहचान हुई।

झारखंड के नामी बदमाश सुशील श्रीवास्तव की 2 जून 2015 को हजारीबाग कोर्ट परिसर में ही एके 47 से गोली मार कर हत्या कर दी गई थी। इसमें सुशील के साथ दो अन्य लोग भी मारे गए थे। इस कांड में प्रतिद्वंदी पांडेय गिरोह के सरगना विकास तिवारी व उसके गुर्गों का नाम सामने आया था। उनके खिलाफ सदर थाना में केस दर्ज किया गया था। अगस्त 2015 में विकास तिवारी दिल्ली में पकड़ा गया उसने पूछताछ में बताया था कि गोरखपुर के दो शूटर प्रदीप पासवान और राज सिंह को विकास की हत्या की सुपारी दी गई थी। घटना में प्रयुक्त एके-47 को भी विकास ने ही गोरखपुर के बदमाश प्रदीप पासवान को उपलब्ध कराया था। वहीं राज सिंह को 30 लाख रुपये दिए थे। खुलासे के वक्त राज सिंह ट्रिपल मर्डर में सुल्तानपुर जेल में बंद था।

पुलिस के मुताबिक 90 के दशक में सुशील श्रीवास्तव और भोला पांडेय नामक दो गैंग काफी सक्रिय थे। इनके निशाने पर झारखंड के कई जिलों के कोयला कारोबारी थे। इनसे जबरन वसूली करना इनका मुख्य काम था। वसूली के इस धंधे में पांडेय गिरोह के बढ़ते वर्चस्व को देखते हुए सुशील श्रीवास्तव गैंग ने एक-एक कर पांडेय गैंग के कई गुर्गो को मारा दिया। इसी दौरान 2006 में विकास तिवारी भोला पांडेय और उसके भाई किशोर पाण्डेय के संपर्क में आ गया। उस विकास ने आते ही सुशील श्रीवास्तव गैंग के गुर्गे लालतू की हत्या कर दी। पुलिस ने 2008 में उसे गिरफ्तार कर लिया गया। डेढ़ साल बाद वह जेल से रिहा हुआ। लेकिन इसी बीच श्रीवास्तव गैंग ने भोला पांडेय की हत्या कर दी। इसके बाद विकास तिवारी और किशोर पांडेय ने मिलकर श्रीवास्तव गैंग के कई गुर्गों की हत्या कर दी। आरोप है कि इन हत्याओं से तिलमिलाए सुशील श्रीवास्तव ने जेल में बैठकर किशोर पाण्डेय की हत्या की साजिश रची। 2014 में श्रीवास्तव गैंग ने जमशेदपुर में किशोर पाण्डेय की उस समय हत्या कर दी जब वह अपने परिवार से मिलने जा रहा था। इसके बाद विकास को लगा कि अगर उसने सुशील श्रीवास्तव को नहीं मारा तो श्रीवास्तव गैंग उसे मार डालेगा। उसके बाद उसने राज सहित दो लोगों को सुपारी दी। 2 जून 2015 सुशील श्रीवास्तव की हत्या हो गई।

घटनाक्रम
02 जून 2015 को हजारीबाग कोर्ट परिसर में गैंगेस्टर सुशील श्रीवास्तव को एके 47 से भूना गया था
12 जून 2015 को सुल्तानपुर ट्रिपल मर्डर में आया था सर्वेश उर्फ राज का नाम
22 जून 2015 को अखिलेश, सर्वेश और अजय को पुलिस ने किया था गिरफ्तार
अक्टूबर 2019 अखिलेश तिवारी की सुल्तानपुर में हुई थी गोली मारकर हत्या
अगस्त 2015 में दिल्ली में पकड़े गए विकास तिवारी ने बताया था सर्वेश का नाम