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किसानों पर आयी बात तो 25 साल पुराने दोस्त ने छोड़ा भाजपा का हाथ

लोकसभा में कृषि बिलों के पास होने के बाद पंजाब और हरियाणा में इसके खिलाफ जमकर विरोध हो रहा है। पंजाब की शिरोमणि अकाली दल की नेता और केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर ने बिल के विरोध में इस्तीफा दे दिया। इस बीच अकाली दल पर आरोप लगे कि उसने कैबिनेट में अध्यादेश का समर्थन किया और जब वह बिल के रूप में संसद में रखा गया तो उसका विरोध कर रही है। हालांकि, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने इस आरोप को खारिज कर दिया है।

मामले पर ‘इंडियन एक्सप्रेस’ से बात करते हुए सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि कैबिनेट की मीटिंग में अकाली दल ने पहले दिन से ही अध्यादेश पर आपत्ति जताई थी। उन्होंने कहा कि जब हमने सरकार से इस पर बात करनी चाही तो उन्होंने कहा कि अभी यह सिर्फ अध्यादेश है। जब इसे बिल के रूप में लेकर आएंगे तो वे उनकी सभी आशंकाओं को ध्यान में रखेंगे। किसानों ने कहा कि इस बिल से एमएसपी व्यवस्था खत्म हो जाएगी। हम सरकार के पास गए। उन्होंने (केंद्र सरकार ने) यह कहते हुए एक पत्र लिखा कि एमएसपी रिजाइम समाप्त नहीं होगा।


बिल पर नहीं ली गई राय’

बादल ने कहा कि हम एनडीए का हिस्सा हैं और हमने उनके सामने यह साफ किया है कि अगर किसानों के मुताबिक बिल में बदलाव नहीं किया जाता है तो वह इसका समर्थन नहीं करेंगे। सुखबीर ने इस बात से इनकार किया है कि शुरुआत में अकाली दल ने बिल का समर्थन किया था। उन्होंने कहा कि हम एनडीए फाउंडर मेंबर हैं लेकिन इस बिल पर हमारी राय नहीं ली गई। यही दुख है। बिल के विरोध पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ट्वीट पर बोलते हुए बादल ने कहा कि पीएम का बयान पर्याप्त आश्वासन नहीं देता।

पीएम का ट्वीट पर्याप्त नहींः बादल

बादल ने कहा, पीएम ने ट्वीट किया कि यह बिल किसान विरोधी नहीं है और एमएसपी को समाप्त नहीं किया जा रहा है। अगर ऐसा है तो वह ये आश्वासन क्यों नहीं दे पाए कि यही बात इस कानून में है। उन्होंने कहा कि एक ट्वीट ही आश्वासन नहीं है। उन्हें इस बात को बिल में डालना चाहिए। प्रधानमंत्री को सदन के पटल पर यह आश्वासन देना चाहिए। इसमें समस्या क्या है?
बीजेपी के साथ गठबंधन जारी रखने पर उन्होंने कहा कि इस पर पार्टी की मीटिंग में फैसला लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि हमने हमेशा कांग्रेस के खिलाफ लड़ाई लड़ी है। हम एनडीए के सबसे पुराने सहयोगी हैं लेकिन हमारी राय नहीं ली गई, जिससे हम दुखी हैं। बादल ने कांग्रेस के बिल का विरोध करने पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि साल 2017 में राहुल गांधी और अमरिंदर सिंह ने अपने घोषणा पत्र में इस बिल को शामिल किया था और अब वे इस बिल का विरोध कैसे कर रहे हैं?

रोहतक में विरोध प्रदर्शन

गौरतलब है कि बिल को लेकर पंजाब और हरियाणा में घमासान मचा है। किसान बिल का जबर्दस्त विरोध कर रहे हैं। हरियाणा के रोहतक में शुक्रवार को किसानों ने एकजुट होकर बिल के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। पंजाब में भी किसान विरोध कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि बिल पर किसानों का रुख देखकर ही अकाली दल ने इस स्तर पर विरोध का फैसला लिया था।
“क्या है बिल में और क्यों हो रहा विरोध?
कृषि बाजार से जुड़ा बिल
(फार्मर्स प्रड्यूस ट्रेड ऐंड कॉमर्स (प्रमोशन ऐंड फैसिलिटेशन) बिल, 2020)”

प्रावधान: रजिस्टर्ड मंडियों के बाहर भी किसान अपनी उपज बेच सकेंगे और व्यापारी किसानों से सीधी खरीद कर सकेंगे। बिना रुकावट राज्य के भीतर और बाहर उपज बेची व खरीदी जा सकेगी। किसानों की परिवहन/मार्केटिंग लागत बचेगी। ई-व्यापार का माहौल बनेगा।
विरोध: किसान मंडी में उपज नहीं बेचेंगे तो राज्यों को मंडी फीस नहीं मिलेगी। अगर मंडी सिस्टम बदलेगा तो आढ़तियों (कमिशन एजेंट) का क्या होगा? इससे न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की व्यवस्था खत्म हो जाएगी। इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग के लिए भी मंडियां चाहिए मगर बिना व्यापार के मंडियां कैसे बचेंगी।

आवश्यक वस्तुओं से जुड़ा बिल
द असेंशियल कमॉडिटीज (अमेंडमेंट) बिल, 2020

प्रावधान : आवश्यक वस्तुओं की सूची से अनाज, दाल, तिलहन, प्याज और आलू को हटाना। इससे ‘असाधारण स्थितियों’ को छोड़ इन चीजों का स्टॉक रखने की लिमिट खत्म होगी। इससे खेती में प्राइवेट सेक्टर का या विदेशी निवेश बढ़ेगा। कोल्ड स्टोरेज, मॉडर्न सप्लाई चेन के लिए निवेश आएगा। कीमतों में स्थिरता आने से किसान और उपभोक्ता दोनों फायदे में रहेंगे। उपज को बर्बादी से बचाया जा सकेगा।

विरोध: ‘असाधारण स्थितियों’ वाले प्रावधान में दाम की सीमा इतनी ऊंची रखी गई है कि कभी नौबत ही नहीं आएगी। बड़ी कंपनियों को स्टॉक रखने की छूट मिलेगी जिससे वे अपनी शर्तें किसान पर थोपेंगी और किसान को कम दाम मिलेगा।

ठेके पर खेती से जुड़ा बिल
द फार्मर्स (एंपावरमेंट ऐंड प्रोटेक्शन) अग्रीमेंट ऑफ प्राइस अश्योरेंस ऐंड फार्म सर्विसेज बिल, 2020

प्रावधान: कृषि कारोबार से जुड़ी कंपनियों, प्रॉसेसर, होलसेलर्स, एक्सपोर्टर्स या बड़े रिटेलर्स से किसान पहले से तय कीमत पर भावी फसल के लिए करार कर सकेंगे। सीमांत और छोटे किसान जिनके पास 5 हेक्टेयर से कम जमीन है वे कॉन्ट्रैक्ट से फायदे में रहेंगे। बता दें कि भारत में 86% छोटे किसान ही हैं। ऐसे में बाजार की अनिश्चितता का खतरा किसान के बजाय स्पॉन्सर पर रहेगा। किसान को आधुनिक तकनीक मिलेगी। बिना बिचौलिये की मदद लिए किसान सीधे उपज को बेच सकेंगे।

विरोध: नेगोशिएट करने की क्षमता किसान में कम। ‘स्पॉन्सर’ छोटे और सीमांत किसान से डील पसंद नहीं करेगा। कोई भी विवाद होने पर बड़ी प्राइवेट कंपनी, एक्सपोर्टर, होलसेलर या प्रॉसेसर का ही पलड़ा भारी रहेगा।