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बॉर्डर पर कन्नौज का लाल शहीद: बेटे ने कहा “तिरंगे में लिपटकरआएंगे पापा कभी सोचा नहीं था”

जम्मू-कश्मीर के सुंदरी वन में तैनात बीएसएफ के हवलदार वीरपाल सिंह बीते बुधवार रात पेट्रोलिंग करते समय पहाड़ी से गिरकर शहीद हो गए थे। शुक्रवार सुबह वीरपाल का पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव भग्गीपुरवा लाया गया तो सभी की आंखें नम हो गईं। शहीद के परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है। बेटे विकास ने कहा कि एक सितंबर की रात पिता से बात हुई थी। वे बेहद खुश थे। उनकी छुट्टी मंजूर हो गई थी। वे इसी माह घर आने वाले थे। सभी को उनके आने का इंतजार था। लेकिन तिरंगे में लिपटकर आएंगे, यह किसी ने नहीं सोचा था। शहीद के अंतिम दर्शन के लिए जनप्रतिनिधि, अफसर और आमजन पहुंचे हैं। बेटे ने शव को मुखाग्नि दी।

सौरिख थाना क्षेत्र के भग्गीपुरवा गांव निवासी वीरपाल सिंह वर्ष 1995 में अहमदाबाद में 69 बटालियन बीएसएफ में भर्ती हुए थे। पिता की रतीराम की साल 2015 में मौत हो चुकी है। बेटे की शहादत से 72 साल की मां विद्यावती गुमसुम हो गई हैं। वीरपाल चार भाइयों में दूसरे नंबर के थे। बड़े भाई सुरेंद्र पाल सुरेंद्र पाल और तीसरे नंबर के भाई उम्मेद पाल सोनीपत में नौकरी करते हैं। छोटा भाई सत्येंद्र पाल दिल्ली में नौकरी करता है। वीरपाल के एक बेटा चमन और तीन बेटियां पूनम पाल, पारुल व दुर्गा पाल हैं। वीरपाल का भतीजा गौरव चाचा वीरपाल की तरह देश की सेवा करना चाहता था। साल 2017 में वी भारतीय सेना की टेक्निकल कोर में कानपुर से भर्ती हुए। वर्तमान में उसकी तैनाती गुजरात के भुज में हैं।

बीते बुधवार को वीरपाल अपने साथियों के साथ सुंदरी वन में सीमा पर घुसपैठ रोकने के लिए अपने साथियों के साथ पहाड़ी पर पेट्रोलिंग कर रहे थे। लेकिन पैर फिसलने से वे 50 मीटर गहरी खाई में जा गिरे। गंभीर हालत में उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया गया। जहां मौत हो गई। वीरपाल इसके पहले 27 जनवरी को एक माह की छुट्टी पर घर आए थे। इसी अवधि में उन्होंने बड़ी बेटी पूनम पाल की शादी की थी। शहीद के घर जिलाधिकारी राकेश कुमार मिश्रा के साथ पुलिस अधीक्षक अमरेंद्र प्रसाद सिंह भी पहुंचे हैं।