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सुल्तानपुर में डीएम बनाम विधायक की जंग का सच

सुल्तानपुर जिले की लंभुआ सीट से भाजपा विधायक देवमणि द्विवेदी के निशाने पर कभी योगी सरकार तो अब डीएम सुल्तानपुर सी इंदुमती है। हाल फिलहाल में इन्होंने डीएम पर घोटाला बम फोड़ा है। जिसमे जिला पंचायत राज अधिकारी कृष्ण कुमार सिंह चौहान तो निपट गए और डीएम का बाल बांका नही हुआ। फिर क्या था विधायक जी ने एक और बम फोड़ दिया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को चिट्ठी लिख डाली। डीएम सी इंदुमती को तत्काल सुल्तानपुर से हटाने की पैरवी कर डाली लेकिन अफसोस न तो डीएम का तबादला हुआ और न ही विधायक देवमणि का जलवा परवान चढ़ा। अलबत्ता खुद विधायक जी बैक फुट पर चले गए और यही से शुरू हो गयी सियासी गलियारे में अजब गजब चर्चा। चर्चा है कि सुल्तानपुर में सत्ता के विधायकों और संगठन के पदाधिकारियों ने डीएम के मुद्दे पर लंभुआ विधायक से दूरी बना ली है। यह भी चर्चा है कि विधायक देव मणि द्विवेदी की डीएम सुल्तानपुर से लड़ाई घोटाले की नही बल्कि व्यक्तिगत है तीन ऐसी बड़ी वजह है।

पहली वजह: एक चर्चित कॉलेज का बड़ा घोटाला है। संतोष सिंह नाम के शख्स ने करीब डेढ़ करोड़ रुपये की विधायक – सांसद निधि और छात्रवृति घोटाला किया है फिर भी विधायक देव मणि का करीबी है। दबाव के बावजूद डीएम सी इंदुमती ने डेढ़ करोड़ रुपए की वसूली का आदेश कर घोटालेबाज कॉलेज मैनेजर संतोष सिंह के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज करवा दिया था।

दूसरी बड़ी वजह: चावल घोटाले की है कुछ दिन पहले शहर के पायगीपुर चौराहे पर दो ट्रक सरकारी चावल पकड़ा गया था। जिसमें सोशल मीडिया पर विधायक देवमणि की खूब किरकिरी हुई थी। चाउर चोर का पोस्ट सुर्खियों में थी। चावल घोटाले की इस पुरानी फ़ाइल को भी डीएम ने फिर से खोल दिया है जिससे विधायक और उनके गरीबी रिश्तेदार परेशान बताए जा रहे है।

तीसरा अहम मामला: असलहों के लाइसेंस का है हाल फिलहाल में विधायक ने करीबियों का शस्त्र लाइसेन्स बनाने की पैरवी की लेकिन डीएम ने तवज्जों नही दिया।
बहरहाल डीएम बनाम विधायक का मुद्दा सुर्खियों में है देखना यह होगा कि कौन किस पर भारी पड़ता है।