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20 साल पहले बंद हुई टीवी की बड़ी डिमांड, जानिए क्यों दे रहे है लोग मुंहमांगी कीमत

दो दशक पहले बंद हो चुके टेलीविजन की डिमांड एकाएक बढ़ गई है। लोग इसकी मुंहमांगी कीमत अदा करने को तैयार हैं। कबाड़ियों के पास हर रोज इसके खरीदार पहुंच रहे हैं। लोगों में ऐसी भ्रांति है कि टेलीविजन की ट्यूब में भरा केमिकल लाखों रुपये कीमत का है। हालांकि, पुलिस अफसरों का कहना है कि कुछ लोगों को एंटीक सामान खरीदने का शौक होता है, इसके लिए वह तरह-तरह के प्रचार करते हैं।

सोशल मीडिया में आजकल एक मैसेज तेजी से वायरल हो रहा है। इसमें पुराने टेलीविजन (शटर वाले) की डिमांड हो रही है। वायरल टीवी के साथ लाल रंग की एक ट्यूब भी दिखाई गई है। इस ट्यूब की कीमत लाखों रुपये बताई गई है। टीवी कारोबारी हरमीत सिंह ने कहा, अगर ऐसा होता तो पुराने टीवी कबाड़ में नहीं बिकते और न ही इनको बनाने वाली कंपनियां बंद होतीं।

जानकारी में यह भी पता चला कि कुछ लोगों को एंटीक सामान जुटाने का शौक है। इस सामान को पाने के लिए ऊंची कीमतें तक दे रहे हैं। इन लोगों ने फेसबुक और व्हाट्सएप पर इसका विज्ञापन निकाल रखा है। इसी झांसे में आकर लोगों में पुराना टीवी पाने की भेड़चाल लगी हुई है। मेरठ के आमिर साबरी ने बताया, उन सहित करीब दर्जनभर दोस्त पुराने टीवी के लिए कई कबाड़ियों से संपर्क कर चुके हैं। उन्हें भी ऐसे टीवी खरीदकर दूसरे लोगों को ऊंचे दाम पर बेचने हैं।

1950 के दशक से सीआरटी (कैथोड रे ट्यूब) का उपयोग टेलीविजन और कम्प्यूटर स्क्रीन में होता रहा है। यह एक विशेष वैक्यूम ट्यूब है जिसमें इलेक्ट्रॉन बीम होने पर छवियां उत्पन्न होती हैं। टेलीविजन, कम्प्यूटर मॉनिटर की टेलर मशीन, वीडियो गेम मशीन, वीडियो कैमरा में इस ट्यूब का उपयोग होता है। अब सीआरटी का बाजार घट रहा है क्योंकि यह एक पुरानी और अत्यधिक ऊर्जा खपत करने वाली तकनीक है।

पिछले दिनों मुजफ्फरनगर में भी ऐसा ही मामला आया था। करीब 30 साल पहले बंद हो चुके टेलीफोन को खरीदने के लिए 20 से ज्यादा लोग वहां के एसडीओ कार्यालय में पहुंच गए थे। एसपी सिटी सतपाल अंतिल ने जानकारी जुटाई तो सामने आया कि झारखंड के किसी व्यक्ति को एंटीक सामान जुटाने का शौक है। उसी के कहने पर मुजफ्फरनगर में लोग पुराना टेलीफोन तलाश रहे थे।

तकनीकि रूप से ज्यादा पुरानी वस्तुओं को एंटीक कहते हैं। इनमें फर्नीचर, आभूषण, पुस्तकें, फिल्म-संगीत एलबमों से जुड़ी यादें, हस्तशिल्प, कलाकृतियां, पोशाक, नक्काशीदार बर्तन, घड़ियां, टेलीफोन, रेडियो, ऐतिहासिक महत्व के खिलौने आदि शामिल हैं।