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बाहुबली MP-MLA के खिलाफ लंबित मामलों के निपटारे पर SC जारी करेगा आदेश..

सांसद और विधायकों पर आपराधिक मामले वर्षों से लंबित होने के मामले मे सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में वह विस्तृत आदेश जारी करेगा. केंद्र सरकार ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट सांसद और विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामले में सुनवाई में तेजी लाने के लिए जो भी फैसला होगा, उसका स्वागत करेगा.

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुझाव दिया कि सुप्रीम कोर्ट चाहे तो ऐसे मामलों की सुनवाई के लिए समय सीमा भी निर्धारित कर सकता है. मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट की ओर से नियुक्त न्याय मित्र (एमाइकस क्यूरी) और केंद्र सरकार ने भी कई सुझाव दिए. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुझाव दिया कि ऐसे मामलों पर रोक नहीं लगाने का निर्देश सुप्रीम कोर्ट जारी करे. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि वह सिटिंग और पूर्व सांसदों और विधायकों पर आपराधिक मुकदमे और भ्रष्टाचार के मामलों के त्वरित परीक्षण के लिए किसी भी आदेश का स्वागत करेगा. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि केंद्रीय एजेंसियों के पास जो मामले हैं, उसमें दो-तीन दशकों से भी मामले लंबित हैं, इनके बारे में सरकार क्या कर रही है. एमाइकस क्यूरी ने कहा कि विभिन्न राज्यों से मामले हैं जो केंद्रीय एजेंसियों को स्थानांतरित किए गए. तेलंगाना, मध्य प्रदेश, यूपी समेत कई राज्यों में ऐसे मामले हैं. एमाइकस क्यूरी ने कहा कि कर्नाटक के भी कई माननीयों के खिलाफ मामले केंद्रीय एजेंसियों को स्थानांतरित किए गए हैं. तेलंगाना में भी 13 सिटिंग विधायक के खिलाफ केस है. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यह उचित है और बड़े राज्यों में विशेष अदालत की संख्या बढ़ायी भी जा सकती है.

हालांकि एमाइकस क्यूरी ने कहा कि हर जिले में एक कोर्ट बनाने का सुझाव भी उचित है. एसजी तुषार मेहता ने कहा कि जिन राज्यों में एक दो मामले ही लंबित है. वहां हाईकोर्ट तय करे और कोष जारी करने का जहां तक सवाल है, अदालत जैसा निर्देश करेगी केंद्र कोष जारी करेगा. कोष जारी करने का मामला हालांकि कोई मुद्दा नहीं है. एसजी ने सुझाव दिया कि स्पेशल जज को नियुक्त किया जाए जो मामलों की सुनवाई करें, क्यों कि अगर राज्य में एक कोर्ट बनाये जाए तो मामलों पर जल्द सुनवाई नही हो पाएगी क्योंकि कई राज्य ऐसे हैं कि जहां 300 से ज़्यादा केस हैं ऐसे में एक राज्य में एक कोर्ट बनाना काफीं नही होगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कई मामलों में CBI, ED और दूसरी जांच एजेंसी और राज्य की एजेंसी FIR तो दर्ज करती हैं लेकिन आगे की कार्यवाही नहीं होती.