काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के इतिहास विभाग में प्रोफेसर डॉ राजीव श्रीवास्तव ने अपना जीवन शिक्षा के लिए समर्पित कर दिया। 1988 में कूड़ा बीनने वाले बच्चों को पढ़ाने की ऐसी लत लगी कि उन्होंने गरीब और बेसहारा बच्चों के लिए अपना घर छोड़ दिया।
झुग्गी, दलित बस्ती और मुस्लिम बस्ती में घर-घर जाकर बेटियों को स्कूल भेजने के लिए प्रेरित किया। बेसहारा बच्चों को पढ़ाने के लिए गोद लिया और उनके रहने, खाने और पढ़ने की व्यवस्था की। किराये के मकान में रह कर उन्होंने बच्चों को पढ़ाने के लिए साथ ही रखा।
बच्चों की संख्या बढ़ी तो कर्ज लेकर लमही के इंद्रेश नगर में सुभाष भवन बनवाया। जहां हिंदू, मुस्लिल, दलित सभी बच्चे एक साथ रहकर न सिर्फ शिक्षा ग्रहण करते हैं, बल्कि एक रसोई में एक साथ भोजन भी करते हैं।
डॉ. राजीव अब तक 783 बेसहारा बच्चों को शिक्षित कर उनका जीवन बदल चुके हैं। वर्तमान में वो 30 बच्चों को पढ़ने, लिखने, भोजन का प्रबंध कर रहे हैं। बच्चों को शिक्षित करने के लिए वो अपना पूरा वेतन बच्चों की शिक्षा, पालन पोषण, भोजन के लिये दान कर देते हैं।
विशाल भारत संस्थान की स्थापना भी कूड़ा बीनने वाले बच्चों की शिक्षा के लिए मुगलसराय स्टेशन पर की गई थी। डॉ. राजीव प्लेटफार्म स्कूल, स्कूल ऑन बोट, अक्षर स्कूल, स्कूल फॉर रैग पिकर्स के जरिये भी बच्चों को पढ़ा चुके हैं।