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कृषि बिल के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन, पंजाब में 3 दिन तक रेल रोकेंगे नाराज किसान

राज्यसभा और लोकसभा में किसान बिल पास होने के बाद किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी है। वही राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन का फैसला दिल्ली  कांग्रेस मुख्यालय में महासचिवों और राज्य प्रभारियों के साथ हुई बैठक में लिया गया। बता दें कि बुधवार को बैठक के बाद कांग्रेस नेता एके एंटनी ने कहा कि, 24 सितंबर से कांग्रेस पार्टी सरकार को काले कानून को वापस लेने के लिए कहते हुए पूरे भारत में प्रदर्शन करेगी।

आगे उन्होंने कहा कि विपक्ष के विरोध के बाद भी राज्यसभा में दो बिल-कृषि सेवा पर किसान समझौता विधेयक और आवश्यक वस्तु विधेयक 2020 को पास कराया गया।

दोनों बिलों को पहले ही लोकसभा से मंजूरी मिल चुकी है, अब यह बिल मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजे गए हैं। विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति से विनती की है कि, वे इन बिलों को अपनी स्वीकृति न दें। विपक्ष चाहता है कि सरकार दोनों बिलों को वापस ले। वहीं 30 किसान संगठनों ने बिल के विरोध में आज से तीन दिन का ‘रेल रोको’ आंदोलन भी शुरू किया है।

कृषि बिल के खिलाफ सड़कों पर किसान-राजनेता

किसानों के साथ बहुत से राजनेता और अलग-अलग पार्टियों के कार्यकर्ता इन बिलों के खिलाफ सड़क पर उतर चुके हैं। वही केंद्र की तरफ से बिलों को वापस लेने की मांग को न माने जाने के बाद विपक्षी दलों ने मंगलवार को संसद का बहिष्कार किया। इससे पहले बुधवार को कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कृषि विधेयक और आठ सांसदों के निलंबन के मुद्दे पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात भी की थी।विपक्ष की 16 पार्टियों के इस मुद्दे पर राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपा था।

पहला बिल

बतादें कि पहला बिल कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य विधेयक 2020 है , जो एक एसा कानून होगा जिसके तहत किसानों और व्यापारियों को एपीएमसी (APMC) की मंडी से बाहर फसल बेचने की आजादी होगी। सरकार का कहना है कि वह एपीएमसी (APMC) मंडिया बंद नहीं कर रही है , बल्कि किसानों के लिए ऐसी व्यवस्था कर रही है, जिसमें वह खरीदार को अच्छे दामों में अपनी फसल बेच सके।

दूसरा बिल

वहीं दूसरा बिल (Bill) कृषक कीमत सशक्तिकरण और संरक्षण विधेयक 2020 है , यह कानून कृषि करारों पर राष्ट्रीय फ्रेमवर्क के लिए है. ये बिल कृषि उत्पादों की बिक्री , फार्म सेवाओं, कृषि बिजनेस फर्मों, प्रोसेसर्स , थोक विक्रेताओं , बड़े खुदरा विक्रेताओं और निर्यातकों के साथ किसानों को जुड़ने के लिए सशक्त करता है