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स्वच्छ सर्वेक्षण सूची में लखनऊ 12वें स्थान पर, टॉप 10 में नहीं यूपी का कोई भी शहर

भारत सरकार द्वारा गुरुवार को जारी की गई स्वच्छ सर्वेक्षण सूची में लखनऊ शहर 12वें स्थान पर है। सूची में टॉप 10 में यूपी का कोई अन्य शहर नहीं है। जारी की गई सूची में पहले स्थान पर इंदौर, दूसरे स्थान पर सूरत, तीसरे पर नवी मुंबई, चौथे पर विजयवाड़ा, पांचवे पर अहमदाबाद, छठे स्थान पर राजकोट, सातवें पर भोपाल, आठवें पर चंडीगढ़, नौंवे स्थान पर जीवीएमसी विशाखापत्तनम, दसवें स्थान पर वडो़दरा, ग्यारहवें स्थान पर नासिक है।
दरअसल, नए नगर आयुक्त अजय द्विवेदी ने लखनऊ को इंदौर जैसा बनाने की बात कही है पर सच ये है कि लखनऊ नगर निगम इंदौर के मुकाबले कई मामलों में अभी काफी पीछे है। यहां न तो उतना बजट है और न ही संसाधन और अधिकार। ऐसे में इंदौर की तरह व्यवस्थाएं लागू करना आसान नहीं है। इसमें सबसे बड़ी समस्या एक साथ कई व्यवस्थाओं का लागू होना भी है।

जल्द लॉन्च होगा हाईटेक सिस्टम: इंदौर जाने वाली टीम में शामिल अपर नगर आयुक्त अमित कुमार का कहना है कि स्मार्ट सिटी कंपनी के जरिए एक ऑन लाइन बार कोड सिस्टम बनाया गया है। जिसे जल्द ही कैसरबाग क्षेत्र से लागू किया जाएगा। जिसमें डोर टू डोर कलेक्शन सिस्टम में सुधार होगा। आने वाली हैं और गाड़ियां: कचरा प्रबंधन का काम करने वाली निजी कंपनी इकोग्रीन एनर्जी के प्रबंधक अभिषेक सिंह का कहना है कि 220 गाड़ियां और आने वाली हैं। उसके बाद हमारे पास पर्याप्त गाड़ियां हो जाएंगी। यदि नगर निगम से पूरा पैसा टिपिंग फीस का मिल जाए तो कोई समस्या काम में न आए। इस समय करीब 40 करोड़ रुपए नगर निगम पर बकाया है।

इंदौर के मुकाबले लखनऊ का नगर निगम

गाड़ियां- डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन करने के लिए यहां पर कुल 750 गाड़ियां निजी कंपनी इकोग्रीन एनर्जी के पास हैं जिनमें 300 ठेलिया हैं जबकि इंदौर में करीब दो हजार गाड़ियां इस काम में लगाई गई हैं। जिसमें बीस प्रतिशत गाड़ियां रिजर्व रखी जाती हैं।

डोर टू डोर कलेक्शन- इंदौर की भी आबादी लखनऊ  शहर के बराबर ही 26 लाख के करीब है। वहां पर डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन शतप्रतिश है जबकि अपने यहां महज 50 प्रतिशत है।

कलेक्शन का मॉनिटरिंग सिस्टम – इंदौर में कूड़ा कलेक्शन में लगी गाड़ियों और कर्मचारियों की मॉनिटरिंग का मजबूत ऑनलाइन सिस्टम है जबकि यहां सब मनमर्जी पर है। गाड़ी वाला कूड़ा लेने आएगा या नहीं किसी शहरवासी को कुछ पता ही नहीं होता है।

अधिकार – इंदौर में 74वां संविधान संशोधन लागू है, इससे वहां पर नगर निगम के पास काफी अधिकार हैं। विकास प्राधिकरण, आवास विकास, यातायात पुलिस, अग्निशमन आदि विभाग उसके पास हैं। जबकि लखनऊ में सब विभाग अपनी मर्जी से काम करते हैं। इससे तालमेल नहीं रहता।

बजट – इंदौर कचरा प्रबंधन पर हर साल करीब 160 करोड़ रुपये खर्च करता है जबकि यहां कचरा प्रबंधन का काम करने वाली निजी कंपनी सालाना करीब 40 करोड़ की टिपिंग फीस का ही भुगतान नही हो पाता है। इससे वह काम करने में आनाकानी रहती है।

ट्रांसफर स्टेशन – कूड़े को एक जगह एकत्र कर फिर वहां से उसे प्लांट तक ले जाने के लिए अपने शहर में तीन ट्रांसफर स्टेशन हैं जबकि इंदौर में दस ट्रांसफर स्टेशन हैं।