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सुल्तानपुर: डीएम का तबादला, विधायक की मजबूरी या जरूरी

लंभुआ भाजपा विधायक देवमणि द्विवेदी और उनके समर्थक डीएम सी इंदुमती के तबादले से बहुत खुश है. डीएम के तबादले को बड़ी जीत बता रहे है लेकिन हकीकत कुछ और ही है डीएम सी इंदुमती का तबादला तैनाती के 15 महीने बाद हुआ है अगर सी इंदुमती कुछ और दिन रह जाती तो शायद विरोधियों की बैंड बज जाती ।

फिलहाल लंभुआ विधायक देवमणि दुबे का पलड़ा भारी पड़ रहा है। डीपीआरओ को जहा सस्पेंड किया गया है वही 15 आईएएस अफसरों के तबादले में सुल्तानपुर जिलाधिकारी सी इंदुमती को हटाकर प्रतीक्षा सूची में डाल दिया गया है। जिससे यह नही कहा जा सकता कि कोरोना किट में घोटाले में शासन ने डीएम को दोषी माना है। मामले में एसआईटी जांच भी कर रही है जल्द ही सब साफ हो जायेगा।

लेकिन लेटर बम से शुरू हुई इस लड़ाई में सी इंदुमती ने पलटवार करते हुए विधायक को झूठा बताया था। वही डीपीआरओ के निलंबन के बाद विधायक देवमणि द्विवेदी ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा। इस बीच कोरोना किट घोटाले में कई अन्य जिलों से भी खबरें आने लगी। जिसको गंभीरता से लेते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर शासन ने अपर मुख्य सचिव रेणुका कुमार के नेतृत्व में एसआईटी का गठन कर दिया। एसआईटी गठित होने के बावजूद डीएम इंदुमती जब अपने पद से नहीं हटी, तो विधायक ने फिर से लेटर बम फोड़ दिया ।

विधायक श्री द्विवेदी और उनके समर्थक यह साबित करने में जुटे है कि योगी सरकार में वो सब पर भारी है। डीएम को भी हटा कर दिखा दिया, मगर सुल्तानपुर में सी इंदुमती ने 12 जून 2019 में चार्ज लिया था। वो करीब 15 महीने तक डीएम रही। अंदर खाने में चर्चा है कि अगर कुछ दिन सी इंदुमती और रह जाती तो विरोधियों की बैंड बजा देती । उन्होंने कई घोटाले को खोल भी दिया है लेकिन अब शायद इनकी जांच ना हो।