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उत्तराखंड में दिल्ली जैसा करिश्मा करने की जुगत में आप

विधानसभा चुनाव को लेकर उत्तराखंड में आम आदमी पार्टी की गतिविधियां बढ़ रही हैं। राज्य की सियासत में आप दिल्ली के फार्मूले से पांव जमाने का मंसूबा पाले हुए है। प्रदेश की सियासत के दो पुराने प्रतिद्वंद्वियों भाजपा और कांग्रेस के बीच वह दिल्ली सरीखा करिश्मा दोहराने का सपना देख रही है।

इस सपने को हकीकत में बदलने के लिए उसके रणनीतिकार गढ़वाल से लेकर कुमाऊं तक के रास्ते नाप रहे हैं। ऐसे में सवाल यह है कि जब कई वर्षों के संघर्ष के बावजूद क्षेत्रीय सरोकारों से जुड़ी उत्तराखंड क्रांति दल अपने पांव नहीं जमा पाई तो नए दल के लिए यह कैसे मुमकिन है। पिछले विधानसभा चुनाव में तो एक कदम आगे बढ़ाने के बाद आप ने अपने कदम पीछे खींच लिए थे। 

उत्तराखंड में आप की जड़ें जमाने का जिम्मा पार्टी ने दिल्ली से विधायक दिनेश मोहनिया को सौंपा है। मोहनिया उत्तराखंड प्रभारी हैं। वह कहते हैं, पिछली बार की परिस्थितियां भिन्न थी। अब पूरी तैयारी कर रहे हैं। सभी विधानसभा क्षेत्रों में कार्यालय खोल रहे हैं। हर विधानसभा में दो-दो प्रभारी बना दिए गए हैं। बूथ स्तर पर काम चल रहा है।

मोहनिया के मुताबिक उनका पहला काम बूथ स्तर तक सांगठनिक ढांचा खड़ा करना है। पार्टी कार्यकर्ताओं का एक ऐसा नेटवर्क बनाने की सोच रही है, जिसके जरिये वह प्रत्येक वोटर तक पहुंचे और उससे संवाद के जरिये एक ऐसा घोषणापत्र बनाए जो दिल्ली की तर्ज पर आम जनता से अपील करे। मोहनिया कहते हैं, हमारी योजना हर विधानसभा का अलग घोषणापत्र बनाने की है। जो स्थानीय जरूरतों के हिसाब से घोषणापत्र तैयार होगा। 

वह मानते हैं कि सांगठनिक नेटवर्क की तुलना में भाजपा उनसे बहुत आगे है, लेकिन उनके पास दिल्ली का तजुर्बा है। वह कहते हैं, दिल्ली में भी भाजपा के मजबूत सांगठनिक नेटवर्क के बावजूद आम आदमी पार्टी ने उसे तीन बार मात दी है। आप की नजर भाजपा और कांग्रेस के भीतर भी है। मोहनिया दावा करते हैं कि दोनों दलों के कई लोग आप के संपर्क में हैं। आप अगले सवा साल के भीतर सांगठनिक नेटवर्क को इस काबिल बनाने के प्रयास में है कि टिकटों के आवंटन में होने वाले पाला बदल का वह भरपूर फायदा उठा सके।