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थर्ड जेंडर को भी मिलेगा संपत्ति का अधिकार..

उत्तर प्रदेश सरकार ने थर्ड जेंडर को संपत्ति में सार्वभौमिक अधिकार देने और औद्योगीकरण में विभिन्न सरकारी योजनाओं के लिए सहज भूमि उपलब्धता के लिए राजस्व संहिता संशोधन विधेयक, 2020 के मसौदे को मंजूरी दे दी है। वर्तमान में किसी भू-खातेदार के परिवार का मतलब स्वयं पुरुष या स्त्री और उसकी पत्नी या उसका पति (न्यायिक रूप से पृथम पत्नी या पति से भिन्न), अवयस्क पुत्रों और विवाहित पुत्रियों से भिन्न अवस्क पुत्रियों से है। अब थर्ड जेंडर को भी भू-खातेदार के सदस्य के रूप में शामिल करने के लिए राजस्व संहिता की धारा-4(10), धारा-108 (2), 109 और धारा-110 में संशोधन किया गया है। 
इससे थर्ड जेंडर के उत्तराधिकार का वरीयताक्रम तय कर उसे परिवार के सदस्य के रूप में शामिल कर दिया गया है। इससे थर्ड जेंडर के व्यक्तियों को भी भौमिक अधिकार और उत्तराधिकार प्राप्त हो सकेगा और उन्हें समान अधिकार व सामाजिक मान्यता मिल सकेगी। इसके अलावा धारा-89(1) में संशोधन कर नई धारा 89(2) जोड़कर केवल व्यक्ति को विधिक या प्राकृतिक व्यक्ति के रूप में स्पष्ट किया जा रहा है।

औद्योगीकरण के लिए जमीन मिलना होगा आसान

इसके अलावा संहिता की धारा- 80 में संशोधन किया जा रहा है। इसमें धारा-80 (1) जोड़ी जा रही है। इससे कृषि भूमि के औद्योगिक, वाणिज्यिक व आवासीय आवश्यकताओं के लिए भू-उपयोग परिवर्तन की प्रक्रिया आसान हो सकेगी। इस व्यवस्था से गैर कृषक भूमि की घोषणा 45 दिन में हो सकेगी जिससे औद्योगीकरण को गति मिलेगी। इसी तरह सरकारी प्रोजेक्ट में शैक्षणिक संस्था, चिकित्सालय व उद्योग आदि की स्थापना के लिए लोक प्रयोजन के लिए सुरक्षित श्रेणी की भूमि को देने व वापस लेने की व्यवस्था की जा रही है। इसके लिए धारा 77(2) में संशोधन किया जा रहा है।

बिना अनुमति सीमा से अधिक खरीदी गई भूमि के विनियमितीकरण का रास्ता साफ

सरकार से बिना अनुमति तय सीमा 12.50 एकड़ से अधिक खरीदी गई भूमि के विनियमितीकरण के लिए राजस्व संहिता की धारा-89 (3) में संशोधन किया जा रहा है। इससे तय सीमा से अधिक खरीदी गई भूमि पर जुर्माना लगाकर विनियमित किया जाएगा। जुर्माना सरकार तय करेगी। सर्किल रेट या शत प्रतिशत जुर्माना लगाया जा सकता है। इससे सरकार को आय होगी और कानून उल्लंघन की समस्या का सामना कर रहे लोगों को बड़ी राहत मिलेगी। संहिता लागू होने के पहले व इसके बाद में खरीदी गई जमीन भी इस बदलाव केदायरे में आएगी। धारा-101 (2)(ख) तथा (ग) में संशोधन कर भूमि की खरीद-बिक्री की प्रक्रिया में भूमि के मूल्यांकन के 10 प्रतिशत तथा क्षेत्रफल में 25 प्रतिशत अधिक अंतर होने पर भी सरकार उसकी इजाजत दे सकेगी। बशर्ते सरकार को अधिक मूल्य व अधिक क्षेत्रफल की भूमि मिल रही हो।

अनारक्षित श्रेणी की भूमि खेल मैदान,चरागाह के लिए हो सकेगी सुरक्षित

धारा-59 (4) (क) में संशोधन कर अनरक्षित श्रेणी की भूमि को सार्वजनिक उपयोग के अंतर्गत खेल के  मैदान, चरागाह, श्मसान स्थल आदि के लिए सुरक्षित किया जा सकेगा। बकाया भूमि फिर ग्राम सभा में शामिल की जा सकेगी। धारा-59 (4) (ग) में संशोधन कर पूर्व में जारी पुनर्ग्रहण आदेश में संशोधन व पुनर्ग्रहण की अधिसूचना को डि-नोटिफाई भी किया जा सकेगा।

चरागाहों पर अस्थायी निर्माण का रास्ता साफ

सरकार ने छुट्टा पशुओं की समस्या के समाधान के लिए चरागाहों में अस्थायी पशु आश्रय स्थलों की स्थापना कराई है। चरागाहों में किसी तरह का निर्माण प्रतिबंधित है। सरकार ने पशु आश्रय स्थलों के लिए कुछ अंश पर ट्यूबवेल लगवाने, चरही बनाने, भूसा चारा आदि रखने के लिए अस्थायी टीन शेड आदि बनाने की व्यवस्था संहिता में करने का फैसला किया है। इसके लिए धारा-60 (2) में संशोधन किया जा रहा है। अस्थायी कार्यों की जिम्मेदारी ग्राम पंचायत को दी गई है।