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अमेरिकी ने बनाई कोरोना की दवाई, लोगों के अंदर होगी 5 गुना ताकत

अमेरिकी कंपनी फाइजर और जर्मनी की कंपनी बायोएनटेक की ओर से तैयार की गई एक नई कोरोना वायरस वैक्सीन के बेहतर परिणाम मिले हैं. इससे पहले फाइजर ने ही पिछले महीने एक और कोरोना वैक्सीन का डेटा पब्लिश किया था. ट्रायल के दौरान पता चला कि पहली वैक्सीन की तुलना में दूसरी वैक्सीन लगाने वालों में साइड इफेक्ट वाले मामले आधे हो गए.

डेली मेल में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना वैक्सीन की निर्माता कंपनियों ने कहा है कि दूसरी वैक्सीन के बेहतर परिणाम इसलिए मिले क्योंकि दूसरी वैक्सीन ने बेहतर इम्यून रेस्पॉन्स पैदा किया. इसकी वजह से वॉलेंटियर्स में साइड इफेक्ट के मामले घट गए.

medRxiv.org पर प्रकाशित आंकड़ों के मुताबिक, कोरोना से ठीक होने वाले मरीजों के मुकाबले वैक्सीन लगाने वाले वॉलेंटियर्स में एंटीबॉडी का स्तर करीब पांच गुना (4.6X) तक अधिक पाया गया. फाइजर के वैक्सीन डेवलपमेंट के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट विलियम ग्रूबर ने कहा कि शरीर वैक्सीन को जितना अधिक बर्दाश्त करेगा, वैक्सीन की स्वीकार्यता उतनी अधिक बढ़ेगी.

हालांकि, विलियम ग्रूबर ने दोनों ही वैक्सीन BNT162b1 (B1) और BNT162b2 (B2) को बढ़िया कैंडिडेट बताया. लेकिन उन्होंने कहा कि हम भाग्यशाली हैं कि B2 अधिक संतुष्ट कर रही है क्योंकि इससे इम्यूनिटी भी अच्छी पैदा हो रही और इसके रिएक्शन भी कम हैं.

ट्रायल के दौरान पता चला कि B1 वैक्सीन लगाने वाले 18 से 55 साल के 50 फीसदी लोगों में मध्यम साइड इफेक्ट हुए, वहीं, 65 से 85 साल के 16.7 फीसदी लोगों में रिएक्शन देखने को मिला. लेकिन दूसरी वैक्सीन लगाने पर 18 से 55 साल के लोगों में साइड इफेक्ट के मामले घटकर 16.7 फीसदी हो गए और 65 से 85 साल के लोगों में साइड इफेक्ट नहीं देखा गया.