सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को जजों की अवमानना के मामले में दोषी वकील प्रशांत भूषण की सजा पर फैसला सुना सकता है। इससे पहले सोमवार को प्रशांत ने अदालतों और जजों की अवमानना के मामले में सुप्रीम कोर्ट में माफी मांगने से इनकार कर दिया। भूषण ने कहा था, ‘मैंने जो कहा, वह हकीकत है। अब शर्त के साथ या बिना शर्त माफी मांगी तो यह गलत होगा। अगर बेमन से माफी मांगी तो अंतरात्मा की अवमानना हो जाएगी। जिसका मैं सबसे अधिक सम्मान करता हूं।’ दो पेज के हलफनामे में भूषण ने कहा था कि उन्होंने ट्वीट भली नीयत से और संस्था की बेहतरी के लिए किए थे। ऐसे में माफी मांगना सही नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने 20 अगस्त को सजा पर बहस के बाद भूषण को बिना शर्त माफी मांगने पर विचार करने के लिए दो दिन दिए थे। इसका उन्होंने सोमवार को जवाब दिया।
भूषण ने कहा था- माफी दबाव या उकसावे में नहीं, ईमानदारी से मांगी जानी चाहिए
सुप्रीम कोर्ट का आदेश पढ़कर अफसोस हुआ। अदालत ने कोर्टरूम में दिए बयान पर पुनर्विचार के लिए दो दिन का समय दिया था। मगर आदेश में लिखा कि बिना शर्त माफीनामा दायर करने के लिए 2 दिन दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट के प्रति मेरे मन में सर्वोच्च सम्मान है। मैं मानता हूं कि यह कोर्ट मौलिक अधिकारों, प्रहरी संस्थाओं और संवैधानिक लोकतंत्र की रक्षा के लिए आखिरी उम्मीद है। माफी दबाव या उकसावे में नहीं, ईमानदारी से मांगी जानी चाहिए।
प्रशांत भूषण के इन 2 ट्वीट को कोर्ट ने अवमानना माना
पहला ट्वीट: 27 जून- जब इतिहासकार भारत के बीते 6 सालों को देखते हैं तो पाते हैं कि कैसे बिना इमरजेंसी के देश में लोकतंत्र खत्म किया गया। इसमें वे (इतिहासकार) सुप्रीम कोर्ट, खासकर 4 पूर्व सीजेआई की भूमिका पर सवाल उठाएंगे।
दूसरा ट्वीट: 29 जून- इसमें वरिष्ठ वकील ने चीफ जस्टिस एसए बोबडे की हार्ले डेविडसन बाइक के साथ फोटो शेयर की। सीजेआई बोबडे की बुराई करते हुए लिखा कि उन्होंने कोरोना दौर में अदालतों को बंद रखने का आदेश दिया था।