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आत्महत्या ही क्यों…

आत्महत्या ही क्यों..!

आपके जीने या मरने से  अपनों के सिवाय किसी को फर्क नहीं पड़ता। लेकिन अपने अस्तित्व, अपने होने और अपने जीवन की कीमत किसी से मत आंकिए। आपके मरने से दुनिया नहीं बदलेगी। क्योंकि जब आप के जीने से दुनिया नहीं बदली, तो आपके मरने से भला कैसे और क्यों बदलेगी दुनिया, अपनी जिंदगी को अपने तरीके से जियो, जरूरी नहीं है

कि हर बुरी परिस्थिती का समाधान आत्महत्या करना हो।

आत्महत्या ही करनी है तो उन परेशानियों की कीजिए, जो आपके दुख का कारण बनती है ना कि अपने आप का…!

न जाने क्यों आज लोगों सबसे आसान लगने लगा है, आत्महत्या करना। हर घंटे सुनाई देती है आत्महत्या करने की खबरें। लेकिन यकीन मानिए आत्महत्या करने से बेहतर है आप अपनी जिंदगी को खुलकर जिए

क्योंकि हर समस्या का समाधान आत्महत्या नहीं होता।

आपकी जिंदगी में परेशानियां हैं तो उस परेशानियों का समाधान भी जरूर होता है, और मुश्किल तो हर इंसान के पास होती है,  आज दुनिया में ऐसा कोई इंसान नहीं जिसके पास मुसीबत ना हो। किसी को परेशानी ना हो, हर इंसान के पास अपनी- अपनी परेशानी होती है। जिंदगी जीने का अगर हुनर ही सीखना है तो, उन लोगों से सीख लो जिन लोगों के पास  देखने के लिए आंखें तक नहीं होती, लेकिन फिर भी वह खुलकर जिंदगी जीते हैं ।

परिस्थितियों से हार कर…
समस्याओं से डर कर…
हालातों से घबराकर…
जिंदगी से बौखला कर…
आत्महत्या की साजिश ना रचें…

क्योंकि हर समस्या का समाधान आत्महत्या नहीं होता।

बल्कि उन सभी परिस्थितियों में अपने आप को पहचानों, क्योंकि पूरी जिंदगी लग गई थी उस मां की, उस पिता की तुम्हें सवांरने में… तुम्हारी हर ख्वाहिशें पूरी करने में तो तुम उनका इस तरह अपमान ना करें।
जिंदगी और परेशानियों में से परेशानियों का अंत करें, ना की जिंदगी का

क्योंकि हर समस्या का समाधान आत्महत्या नहीं होता।

“अपना अंत करना किसी भी समस्या का अंत नहीं होता है”
“किंतु अपनों के लिए बहुत सारी समस्याओं की शुरुआत होती है”

इसलिए, हर समस्या का समाधान आत्महत्या नहीं होता।

किरण मौर्या, नोएडा